प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पूर्व प्रमुख संजय कुमार मिश्रा को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) में शामिल किया गया है। उन्हें इस परिषद में सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। मिश्रा भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के 1984 बैच के अधिकारी हैं और उन्होंने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण मामलों की जांच का नेतृत्व किया है।
EAC-PM एक स्वतंत्र निकाय है
ईएसी-पीएम एक स्वतंत्र निकाय है, जो प्रधानमंत्री को आर्थिक नीतियों से जुड़ी सलाह देने और प्रमुख आर्थिक मुद्दों पर अपडेट जानकारी प्रदान करने का काम करता है। मिश्रा की नियुक्ति से परिषद को उनके प्रशासनिक अनुभव और वित्तीय मामलों की गहरी समझ का लाभ मिलेगा।
हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच का अनुभव
ईडी प्रमुख के रूप में मिश्रा ने कई चर्चित मामलों की जांच की। इनमें पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ जांच शामिल है। उनकी कार्यशैली को लेकर कई बार राजनीतिक हलकों में चर्चा भी रही।
यह नियुक्ति परिषद के पूर्व अध्यक्ष बिबेक देबरॉय के निधन के बाद हुई है। 1 नवंबर 2024 को उनकी मृत्यु के बाद यह पद खाली था। मिश्रा की नियुक्ति से परिषद को आर्थिक नीतियों पर नए दृष्टिकोण और प्रशासनिक दक्षता का लाभ मिलने की उम्मीद है।
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अपने नए पद पर मिश्रा का कार्यकाल आर्थिक सुधारों और नीतिगत फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उनके अनुभव और प्रशासनिक क्षमताओं के चलते उम्मीद की जा रही है कि वे इस नई भूमिका में प्रभावी रूप से कार्य करेंगे और प्रधानमंत्री को सटीक आर्थिक परामर्श देंगे।
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उत्तर प्रदेश के 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी संजय कुमार मिश्रा को सचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। नवंबर 2018 में, उन्हें दो साल के कार्यकाल के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) का प्रमुख नियुक्त किया गया था। इससे पहले, वह दिल्ली में आयकर विभाग में मुख्य आयुक्त के पद पर कार्यरत थे।
बाद में, नवंबर 2020 में एक आदेश के जरिए उनकी नियुक्ति को संशोधित किया गया और उनके कार्यकाल को तीन साल तक बढ़ा दिया गया। 17 नवंबर 2021 को, सरकार ने उनके कार्यकाल को एक साल बढ़ाकर 18 नवंबर 2022 तक कर दिया। इसके बाद, एक और विस्तार देकर उन्हें 18 नवंबर 2023 तक पद पर बनाए रखा गया। हालांकि, जुलाई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि अब उनके कार्यकाल को आगे बढ़ाने के किसी भी अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा।