कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व वाली हरियाणा जनहित कांग्रेस(हजकां) का गुरुवार(28 अप्रैल) को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया गया। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा की गैर मौजूदगी अपने आप में काफी कुछ कह रही थी। हजकां का गठन बिश्नोई के पिता और हरियाणा पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल ने साल 2007 में कांग्रेस से अलग होने के बाद किया था। कांग्रेस पार्टी की ओर से साल 2005 में जाट नेता हुड्डा को प्राथमिकता दिए जाने से नाराज होकर भजनलाल ने पार्टी बनाई थी।
साल 2011 में तीन जून को भजनलाल की मौत के बाद बिश्नोई ने पार्टी की कमान संभाल ली थी। उन्होंने राजधानी में 10 जनपथ पर इस विलय की घोषणा करते हुए कहा, ‘मैं कभी कांग्रेस से अलग नहीं हुआ था। एक परिवार में मतभेद होते ही हैं। कांग्रेस हमारे खून में है। मतभेद अब दूर हो चुके हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही हमारे नेता हैं। हम कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम करेंगे। मैं पार्टी के एक आम कार्यकर्ता की तरह काम करूंगा और मैंने कोई शर्तें नहीं रखी हैं, न ही मैं किसी पद के लालच में वापस आया हूं।’
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साल 2014 के संसदीय चुनावों के लिए हजकां ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था। विधानसभा चुनाव में पार्टी अलग से लड़ी थी और उसे महज दो ही सीटें मिली थीं। कुलदीप बिश्नोई अपने पिता की पारंपरिक सीट आदमपुर (हिसार) से जीते थे जबकि उनकी पत्नी रेणुका बिश्नोई हांसी से जीती थीं।
राज्य में एआईसीसी के प्रभारी पार्टी महासचिव शकील अहमद ने हुड्डा की गैर मौजूदगी की बात को महत्व न देते हुए कहा कि वह भी विलय के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि सभी यहां मौजूद थे। भूपिंदर सिंह हुड्डा को एक जरूरी काम था इसलिए वह यहां नहीं आ सके। वह भी आएंगे और अन्य नेताओं के साथ दिखेंगे। यह उनकी भी मर्जी है और वह पूरे दिल से इस विलय के साथ हैं। मतभेद बीते दौर की बात हो चुकी है। बिश्नोई को पार्टी में जिम्मेदारी दी जाएगी और वह कांग्रेस के एक मजबूत नेता बनकर उभरेंगे।
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साथही अहमद ने कहा कि भजनलाल जी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता थे, जो कुछ कारणों के चलते अलग हो गए। अब, वे चीजें खत्म हो चुकी हैं और किसी ने बीते समय में क्या कहा, यह बात अब अप्रासंगिक हो चुकी है। आज एकसाथ चलने का फैसला लिया गया है और कुलदीप पार्टी के एक मजबूत नेता के तौर पर उभरेंगे।