अयोध्या में राममंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कुछ मुस्लिम नेताओं के विरोध के बाद अब पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने भी विरोध की आवाज उठाई है। उन्होंने रविवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा, ” फैसले में कई खामियां हैं, लेकिन हमें आगे बढ़ने की जरूरत है।” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय को इसे स्वीकार कर लेना चाहिए।
कहा, फिर भी स्वीकार करें निर्णय : यशवंत सिन्हा मुंबई साहित्य महोत्सव में ऐतिहासिक फैसले के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का फैसला गलत निर्णय है, इसमें कई खामियां हैं, लेकिन मैं फिर भी मुस्लिम समुदाय से फैसले को स्वीकार करने के लिए कहूंगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चलिए आगे बढ़ते हैं। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कोई फैसला नहीं है।’’ इस बीच सिन्हा ने यह भी दावा किया कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और कई अन्य को शुरुआत में बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर ‘‘पछतावा’’ था लेकिन बाद में वे राम मंदिर आंदोलन का श्रेय लेने लगे।
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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी फैसले के खिलाफ: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले पर अपना फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या की विवादित ढांचे वाली जमीन पर मंदिर बनेगा। वहीं इसके बदले सरकार मस्जिद के लिए मुसलमानों को पांच एकड़ जमीन उचित जगह पर देगी। हालाकि फैसले को कई मुस्लिम नेताओं ने स्वीकार किया था, जबकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के कई सदस्यों ने इस पर विरोध जताया और इसको चुनौती देने की बात कही है।
हाल ही में प्रकाशित की थी आत्मकथा : पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने भी फैसले पर अपना विरोध जताया। बीजेपी से अलग होने के बाद यशवंत सिन्हा ने हाल ही में आत्मकथा ‘रेलेंटलेस’ प्रकाशित की है, जिसमें उन्होंने आईएएस से राजनीति में आने और फिर भारत के वित्त और विदेश मंत्री बनने और बीजेपी से इस्तीफा देने तक की पूरी बात सिलसिलेवार ढंग से बताई है।वह बीजेपी सरकार में वरिष्ठ पदों पर रहे हैं।

