लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर चीन की आपत्ति के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष से सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर पर भारत का फैसला देश का ‘‘आंतरिक’’ विषय है और इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं तथा चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में कोई बदलाव नहीं होगा।
भारतीय विदेश मंत्री ने बैठक के दौरान यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि किसी तरह के “द्विपक्षीय मतभेद विवाद नहीं बनने चाहिए।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक दूसरे की “मुख्य चिंताओं” के प्रति आपसी संवेनशीलता पर (दोनों देशों के बीच) संबंधों का भविष्य निर्भर करेगा।
बता दें कि भारत की तरफ से यह टिप्पणी चीन के विदेश मंत्री क उस बयान के हवाले से आयी है, जिसमें चीनी विदेश मंत्री ने कहा था कि ‘जम्मू कश्मीर पर भारतीय संसद द्वारा पारित हालिया अधिनियम से जुड़े घटनाक्रमों पर चीन, कश्मीर को लेकर भारत-पाक तनावों और इसके निहितार्थों की “बहुत करीबी” निगरानी कर रहा है। साथ ही नई दिल्ली से क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने का अनुरोध करता है।’
विदेश मंत्रालय से जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक द्विपक्षीय बैठक के दौरान एस. जयशंकर ने चीन को इस बात से अवगत कराया कि यह भारत का ‘आंतरिक’ मामला है और यह भारत के संविधान के एक अस्थायी प्रावधान में बदलावों से जुड़ा मुद्दा है। जयशंकर ने इस बात का जिक्र किया कि विधायी उपायों का उद्देश्य बेहतर शासन एवं सामाजिक- आर्थिक विकास को बढ़ाना है। इसका भारत की बाहरी सीमाओं या चीन से लगे LAC से कोई लेना-देना नहीं है।
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बयान में कहा गया है, ‘‘भारत कोई अतिरिक्त क्षेत्रीय दावे नहीं कर रहा है। इस तरह इस बारे में चीन की चिंताएं सही नहीं हैं। मंत्री ने यह भी कहा कि जहां तक भारत-चीन सीमा विवाद का सवाल है, दोनों पक्ष एक निष्पक्ष और न्यायसंगत परस्पर स्वीकार्य समझौते के लिए राजी हुए हैं।’’ विदेश मंत्री बनने के बाद चीन की अपनी प्रथम यात्रा के दौरान एस जयशंकर ने शीर्ष चीनी नेताओं के साथ खुल कर वार्ता की।
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द किये जाने को लेकर भारत और पाकिस्तान के संबंधों में आए तनाव के बीच जयशंकर चीन की तीन दिनों की यात्रा पर हैं।
जयशंकर ने मनोरम दृश्य वाले आवासीय परिसर झोंगननहई में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी विश्वस्त एवं उपराष्ट्रपति वांग किशान से मुलाकात की। जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों — जम्मू कश्मीर और लद्दाख– में बांटे जाने पर चीन की चिंताओं के संदर्भ में द्विपक्षीय संबंधों पर उन्होंने चीनी उपराष्ट्रपति के साथ खुल कर चर्चा की।