अंतरिक्ष एजेंसी NASA की मदद से साउथ पोल पर ‘ओडिसियस’ के पहुंचने के बाद अमेरिका के हाथ बड़ी सफलता हाथ लगी है। भारतीय समय के अनुसार, ओडिसियस की लैंडिंग 4 बजकर 53 मिनट पर हुई। अमेरिका ने पहली बार प्राइवेट कंपनी कंपनी इंटुएटिव मशीन्स के जरिए चंद्रमा पर लैंडर उतारा है। 52 साल पहले अपोलो मिशन की सफलता के बाद अमेरिका का अंतरिक्ष यान शुक्रवार को चंद्रमा पर उतरा।

ह्यूस्टन की दस साल पुरानी कंपनी इंटुएटिव मशीन्स द्वारा निर्मित अंतरिक्ष यान ओडीसियस ने 15 फरवरी को पृथ्वी से उड़ान भरने के लिए स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट का उपयोग किया। यह अंतरिक्ष यान छह नासा पेलोड को चंद्रमा पर ले गया। ओडीसियस का लैंडर मॉड्यूल कोज नोवा-सी कहा जाता है। पिछले साल चंद्रयान-3 के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला यह दूसरा मॉड्यूल बन गया है।

चंद्रयान-3 और जापान के एसएलआईएम (चंद्रमा की जांच के लिए स्मार्ट लैंडर) के बाद एक साल के अंदर यह चंद्रमा पर यह तीसरी लैंडिंग है। ओडीसियस की लैंडिंग चंद्रमा की खोज में एक नई शुरुआत की निशीनी है। इसका उद्देश्य चंद्रमा पर मानव जीवन के लिए उपयुक्त वातावरण का पता लगाता है। ताकि चंद्रमा को बुनियादे ढांचे के साथ मनुष्यों के रहने लायक बनाया जा सके।

यह लैंडिंग आर्टेमिस कार्यक्रम के जरिए बड़े पैमाने पर चंद्रमा पर लौटने के अमेरिकी मिशन का हिस्सा है। यह सिर्फ चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान या मनुष्यों को उतारने के बारे में नहीं है, बल्कि बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था के निर्माण के बारे में है। इसके जरिए चंद्रमा पर खोज को बढ़ावा मिलेगा।

आर्टेमिस कार्यक्रम काफी हद तक प्राइवेट अंतरिक्ष एजेंसियों के सपोर्ट पर निर्भर करता है। इसकी एक वाणिज्यिक चंद्र पेलोड सेवा (सीएलपीएस) पहल है जिसके जरिए नासा चंद्रमा पर उपकरण और प्रौद्योगिकी पहुंचाने का काम करेगा। इसके अलावा चांद पर यात्रा के लिए प्राइवेट कंपनियों के साथ काम कर रहा है।

आसान नहीं थी राह

सीएलपीएस पहल के हिस्से के रूप में पहला लॉन्च पिछले महीने एस्ट्रोबोटिक नामक कंपनी ने किया था हालांकि लॉन्च करने के साथ तुरंत बाद इसमें समस्याएं आ गईं और यान चंद्रमा तक नहीं पहुंच सका। ओडीसियस की तरह उस मिशन पर अंतरिक्ष यान और रॉकेट दोनों प्राइवेट कंपनियों से आए थे।

ओडीसियस, सीएलपीएस की पहली सफलता है। नासा ने पहले ही ऐसे मिशनों के लिए 14 अंतरिक्ष कंपनियों से कान्ट्रैक्ट किया है। इन कंपनियों द्वारा 2026 तक कम से कम छह और चंद्र लैंडिंग तय की गई हैं। नासा ने अपोलो मिशन के बाद पहले मानव को उतारने की योजना बनाई है, जिसमें इस साल के अंत में इंटुएटिव मशीनों से एक और लैंडिंग करने की भी योजना शामिल है।