Finance Minister Nirmala Sitharaman: केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से ऐसे कर्मचारियों को नियुक्त करने का आह्वान किया जो स्थानीय भाषा बोल सकते हैं। शुक्रवार को मुंबई में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन की 75वीं वार्षिक जनरल बैठक में बोलते हुए निर्मला सीतारमण ने बैंकों से कहा कि आप बिजनेस करने के लिए हैं न कि नागरिकों में वैल्यू डेवेलप करने के लिए।
द हिंदू के अनुसार, निर्मला सीतारमण ने देश की विविधता को ध्यान में रखते हुए इस आवश्यकता पर प्रकाश डाला। वित्तमंत्री ने कहा, “जब आपके पास ब्रांच लेवल पर कर्मचारी हैं जो क्षेत्रीय भाषा में बात नहीं करते हैं। जो देशभक्त हैं सिर्फ यह कहने के लिए, “अरे, आप हिंदी नहीं बोलते हैं शायद आप भारतीय नहीं हैं।” मुझे लगता है कि यह बिजनेस के लिए अच्छा नहीं हैं।”
ग्राहक की जबान में बात करना जरूरी: निर्मला सीतारमण ने बैंकों से ब्रांच में तैनात लोगों की समीक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि जो स्थानीय भाषा नहीं बोल सकते हैं उन्हें ग्राहकों से डील करने वाले काम नहीं सौंपने चाहिए। उन्होंने कहा कि बैंकों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उनकी प्रणालियां एक-दूसरे के अनुकूल और तालमेल में हों ताकि आम आदमी अलग-अलग बैंकों के साथ लेनदेन के लिए मजबूर न हो। इसके अलावा ग्राहक को बेहतर और अधिक कारगर ढंग से सेवा देने के लिए उसकी जबान में बात करना भी अहम है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने बैंकों से ग्राहकों की सुविधा में सकारात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, “मैं चाहती हूं कि आप अब कहें कि हम आपकी सेवा करने के लिए तैयार हैं, सक्रिय रहें और ग्राहकों को बताएं कि आप उनसे जहां वो चाहें मिलेंगे और उनके साथ बिजनेस करेंगे।”
झिझक के साथ बोलती हैं हिंदी: केंद्रीय मंत्री ने गुरुवार को कहा था कि हिंदी बोलने से उन्हें कंपकंपी छूट जाती है और वह झिझक के साथ बोलती हैं। निर्मला सीतारमण ने कहा कि वह तमिलनाडु में पैदा हुईं और हिंदी के खिलाफ आंदोलन के बीच कॉलेज में पढ़ीं और हिंदी के खिलाफ हिंसक विरोध भी देखा। वित्त मंत्री ने दावा किया कि हिंदी या संस्कृत को दूसरी भाषा के रूप में चुनने वाले छात्रों, यहां तक कि टॉपर लिस्ट में आने वाले छात्रों को भी राज्य सरकार की तरफ से उनकी पसंद की भाषा के कारण छात्रवृत्ति नहीं मिलती थी।