Sam Pitroda: राहुल गांधी के करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने भारत की विदेश नीति और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर अपनी हालिया टिप्पणी से एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है। एक इंटरव्यू में पित्रोदा ने कहा कि मैं पाकिस्तान गया, और आपको बता दूं कि मुझे वहां घर जैसा महसूस हुआ।

आईएएनएस के साथ एक इंटरव्यू में पित्रोदा ने क्षेत्रीय कूटनीति को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने नेपाल से लेकर बांग्लादेश तक की तारीफ की है। पित्रोदा ने कहा कि मैं बांग्लादेश गया, मैं नेपाल गया हूं, और मुझे वहां घर जैसा महसूस होता है। मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैं किसी विदेशी देश में हूं।

पित्रोदा ने केंद्र सरकार से कहा कि अपने पड़ोसियों के साथ बातचीत को प्राथमिकता दी जाए। पित्रोदा ने कहा कि भारत की विदेश नीति की शुरुआत पाकिस्तान सहित क्षेत्र के देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने से होनी चाहिए।

राहुल गांधी की Gen-Z से अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए पित्रोदा ने कहा कि मैं देश के युवाओं से अनुरोध करना चाहता हूं कि वे राहुल गांधी के साथ खड़े हों। उनकी आवाज के साथ अपनी आवाज मिलाएं। राहुल गांधी ने Gen-Z से अपील की थी कि वे आगे आएं और देश के लोकतंत्र की रक्षा करे। सैम ने कहा कि हमारी विदेश नीति को सबसे पहले अपने पड़ोस पर केंद्रित होना चाहिए। क्या हम वास्तव में अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों में काफी सुधार कर सकते हैं?

पित्रोदा के बयान पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तुरंत तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसने कांग्रेस नेतृत्व पर भारत के राष्ट्रीय हितों को कमजोर करने का आरोप लगाया।

भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि राहुल गांधी के चहेते और कांग्रेस के विदेश प्रमुख सैम पित्रोदा कहते हैं कि उन्हें पाकिस्तान में ‘घर जैसा महसूस’ हुआ। कोई आश्चर्य नहीं कि यूपीए ने 26/11 के बाद भी पाकिस्तान के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। पाकिस्तान का चहेता, कांग्रेस का चुना हुआ!

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यह टिप्पणी भारत की विदेश नीति के मामलों में पित्रोदा के विवादास्पद हस्तक्षेपों की बढ़ती सूची में शामिल हो गई है, जिसका उपयोग भाजपा ने बार-बार राष्ट्रीय सुरक्षा पर कांग्रेस पार्टी के रुख पर सवाल उठाने के लिए किया है।

बता दें, यह पहली बार नहीं है जब पित्रोदा किसी राजनीतिक विवाद के केंद्र में रहे हों। इससे पहले फरवरी में, जब चीन के साथ संबंध तनावपूर्ण थे। तब भी उन्होंने यह कहकर हंगामा खड़ा कर दिया था कि भारत चीन से खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है।आईएएनएस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने तर्क दिया था कि नई दिल्ली को बीजिंग को दुश्मन मानना ​​बंद कर देना चाहिए और इसके बजाय सहयोगात्मक रुख अपनाना चाहिए।

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