Delhi Assembly: दिल्ली विधानसभा में सोमवार को दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 पारित किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में मनमाने तरीके से की जा रही फीस वृद्धि पर रोक लगाना है।
विधेयक के तहत अब कोई भी निजी, मान्यता प्राप्त स्कूल तीन साल में केवल एक बार ही फीस बढ़ा सकते हैं। वो भी यह तब हो सकेगा जब स्कूल स्तरीय फीस निर्धारण समिति इसको मंजूरी देगी। इस समिति में स्कूल प्रबंधन के प्रतिनिधियों के साथ-साथ पांच अभिभावकों को भी शामिल किया जाएगा, जिनमें SC/ST, OBC और महिला प्रतिनिधित्व अनिवार्य होगा।
विधेयक में जुर्माने का प्रावधान
नया कानून मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों के लिए दंड को सख्त बनाता है। पहली बार उल्लंघन करने पर जुर्माना 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच होगा। बार-बार उल्लंघन करने पर, जुर्माना 10 लाख रुपये तक हो सकता है। इसके अलावा, निर्धारित अवधि के भीतर अतिरिक्त फीस वापस न करने पर 20 दिनों के बाद जुर्माना दोगुना, 40 दिनों के बाद तीन गुना और प्रत्येक 20 दिन की देरी पर और बढ़ जाएगा।
बार-बार उल्लंघन करने वालों को स्कूल प्रबंधन पदों से भी अयोग्य ठहराया जा सकता है और भविष्य में फीस वृद्धि का प्रस्ताव रखने का अधिकार भी खो दिया जा सकता है। अगर कोई स्कूल किसी भी बच्चे को दंड के रूप में लाइब्रेरी में बैठाता है तो उस स्कूल के खिलाफ 50 हजार प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगेगा। बता दें, दिल्ली में 1677 प्राइवेट स्कूल हैं।
दिल्ली विधानसभा से पेश हुआ GST संशोधन बिल
इसके अलावा मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा में दिल्ली वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सरकार ने कर सिस्टम को सरल बनाने, अनुपालन को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में व्यापारियों और करदाताओं को ठोस राहत देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि इस संशोधन विधेयक के माध्यम से दिल्ली GST अधिनियम को केंद्र सरकार द्वारा पारित केंद्रीय GST अधिनियम में किए गए सुधारों के अनुरूप लाया गया है, जिससे देशभर में कर नियमों में एकरूपता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि यह विधेयक करदाताओं के लिए पारदर्शिता, सरलता और न्याय की दिशा में एक ठोस कदम है। हमारा उद्देश्य कारोबारी विश्वास को बढ़ाना और राजस्व प्रशासन को प्रभावी बनाए रखना है।
दो प्रमुख विधायी पैकेजों से पेश हुआ बिल
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि यह संशोधन दो प्रमुख विधायी पैकेजों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। पहला पैकेज जुलाई 2023, अक्टूबर 2023 और जून 2024 में आयोजित GST परिषद की बैठकों में स्वीकृत 45 संशोधनों को सम्मिलित करता है, जिसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा करने की समय सीमा बढ़ाना, पंजीकरण और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाना, GST अपीलीय अधिकरण (Tribunal) की स्थापना करना, और ब्याज तथा जुर्माने पर राहत के लिए एक एमनेस्टी स्कीम (राहत) की शुरुआत शामिल है।
दूसरे पैकेज में दिसंबर 2024 की 55वीं GST परिषद की बैठक में पारित 14 संशोधन शामिल हैं, जिनका उद्देश्य प्रवर्तन को मजबूत बनाना और प्रक्रियाओं में स्पष्टता लाना है। इनमें ट्रैक-एंड-ट्रेस सिस्टम में गैर-अनुपालन पर दंड, ISD क्रेडिट वितरण का स्पष्ट निर्धारण, नगरपालिका निधियों की प्रकृति और अपील की प्रक्रिया को सुगम बनाना शामिल है।
कई समस्याओं का निदान करेगा विधेयक– सीएम
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया यह विधेयक कई समस्याओं का निदान करेगा। सभी संशोधनों से करदाताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए अधिक समय मिलेगा, अपील दाखिल करने के लिए पूर्व-डिपॉजिट की राशि 10% से घटाकर 7% की गई है, विवाद निपटान में सुधार होगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि गुटखा निर्माण जैसे क्षेत्रों में मशीन ट्रैकिंग जैसे प्रवर्तन उपाय लागू होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गुटखा बनाने वाली कंपनियों के उत्पादन और बिक्री का कोई सटीक हिसाब नहीं होता था। अब हर पैकेट पर यूनिक कोड और मशीन ट्रैकिंग से पूरी पारदर्शिता आएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि GST एमनेस्टी स्कीम के तहत दिल्ली को 31 मार्च 2025 तक 218 करोड़ रुपए की वसूली प्राप्त हुई है, जो इन सुधारों के प्रति करदाताओं की सकारात्मक प्रतिक्रिया का संकेत है।
रेखा ने आतिशी पर कसा तंज
विधानसभा में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पूर्व वित्त मंत्री आतिशी पर भी तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि आतिशी अब उन संशोधनों पर सवाल उठा रही हैं, जिनकी बैठक में उन्होंने भाग ही नहीं लिया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली की वित्तीय जिम्मेदारी जिनके हाथों में थी, वह इन महत्वपूर्ण बैठकों से अनुपस्थित रहीं।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि आतिशी न केवल 55वीं GST परिषद की बैठक से अनुपस्थित रहीं, बल्कि पहले की कई बैठकों में भी उन्होंने भाग नहीं लिया। उन्होंने कहा कि यदि पूर्ववर्ती सरकार संस्थागत प्रक्रियाओं का सम्मान करती, तो दिल्ली को और अधिक लाभ मिल सकता था।