विनायक दामोदर सावरकर की जयंती पर अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने नोटों पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जगह पर उनकी तस्वीर छापने की मांग उठाई है। महासभा ने इसके अलावा कहा है कि वीडी सावरकर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए। यह मांग महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा और प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक अग्रवाल ने संयुक्त तौर पर की है।
‘नहीं झुठलाई जा सकती सावरकर की सेवा’: ‘पीटीआई-भाषा’ की एक रिपोर्ट में उनके हवाले से इस बारे में कहा गया, “सावरकर ने देश की जिस तरह निस्वार्थ सेवा की थी, उसे कभी भी झुठलाया या नकारा नहीं जा सकता। ऐसे में नोटों पर उनकी तस्वीर छापकर यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”
मोदी ने भी किया याद, किया खास ट्वीटः सावरकर जयंती पर कार्यवाहक प्रधानमंत्री, बीजेपी के फायरब्रांड फेस और एनडीए संसदीय दल के नेता नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि वीर सावरकर, बहादुरी, देशप्रेम और मजबूत भारत के लिए दिखाई जाने वाली प्रतिबद्धता का बेहतरीन उदाहरण थे। उन्होंने कई लोगों को देश निर्माण में अपना जीवन लगा देने के लिए प्रेरित किया। मोदी ने ट्वीट संग एक वीडियो भी शेयर किया। देखिएः
We bow to Veer Savarkar on his Jayanti.
Veer Savarkar epitomises courage, patriotism and unflinching commitment to a strong India.
He inspired many people to devote themselves towards nation building. pic.twitter.com/k1rmFHz250
— Narendra Modi (@narendramodi) May 28, 2019
क्या है व कैसे पनपा ताजा विवाद? सावरकर का नाम एक बार फिर से सुर्खियों में है। दरअसल, राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में फेरबदल कर सावरकर को अंग्रेजी हुकूमत से माफी मांगने वाला बताया है। इसी बीच, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल बोले थे, “हिंदू महासभा नेता सावरकर ने देश के बंटवारे का बीज बोया था, जबकि ‘टू-नेशन थियोरी’ आगे पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने बढ़ाई थी।” वहीं, बीजेपी मुख्य विपक्षी दल की तरफ से इस प्रकार की बयानबाजी को सावरकर का अपमान करार दे रही है।
कौन थे सावरकर?: हिंदू महासभा से ताल्लुक रखने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी वीडी सावरकर को दुनिया स्वतंत्रता सेनानी कार्यकर्ता, राजनेता, वकील, लेखक और हिंदू दर्शन शास्त्र का फॉर्मुला गढ़ने वाली शख्सियत के रूप में जानती है। चाहने और मानने वाले उन्हें वीर सावरकर भी कहते हैं। उन्हें खास तौर पर हिंदुत्व शब्द गढ़ने के लिए जाना जाता है। वर्ष 1923 में उन्होंने वैचारिक ग्रंथ ‘हिंदुत्व: कौन है हिंदू’ लिखा था।