Jammu Kashmir Elections: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में कहा कि फारूक अब्दुल्ला चाहते हैं कि हम आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान से बातचीत करें। शाह ने कहा कि आतंकवाद खत्म होने तक हम पाकिस्तान से बातचीत के पक्ष में नहीं है।
फारूक अब्दुल्ला कहते हैं कि वे धारा 370 को वापस लाएंगे। फारूक साहब, अब धारा 370 कोई वापस नहीं ला सकते। अब बंकरों की जरूरत नहीं है, क्योंकि गोली चलाने की कोई हिम्मत नहीं कर सकता। अगर वहां गोली आई तो गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।
शाह के हमले पर फारूक अब्दुल्ला ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार चीन से बात कर सकती है, जिन्होंने हमारी दो हजार किलोमीटर की जमीन पर कब्जा किया। पाकिस्तान से क्यों नहीं बात कर सकती। आतंकवाद का हल निकालना होगा। कब तक हमारे लोग मरते रहेंगे।
अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद को हम पाताल में दफन करेंगे। आज जम्मू-कश्मीर में शान से तिरंगा लहराया जा रहा है। वो लोग शेख अब्दुल्ला का झंडा वापस लाना चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर में केवल हमारा तिरंगा लहराएगा। वे चाहते हैं कि हम पाकिस्तान से बातचीत करें। हम आतंकवाद खत्म होने तक पाकिस्तान से बातचीत के पक्ष में नहीं हैं। वे आतंकवादियों को जेलों से रिहा करना चाहते हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद को बहुत गहराई में दफ्ना दिया है। कोई भी आतंकवादी या पत्थरबाज जेल से रिहा नहीं होगा।
शाह ने कहा कि कांग्रेस, NC ने कहा है कि पहाड़ियों, गुर्जर बकरवाल, दलित, वाल्मीकि, ओबीसी समुदाय को जो आरक्षण दिया गया, उस पर फिर से विचार किया जाएगा। राहुल गांधी अमेरिका में जाकर कहते हैं कि अब इनका विकास हो चुका है, अब इन्हें आरक्षण की जरूरत नहीं है। राहुल बाबा, हम आपको आरक्षण हटाने नहीं देंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पहाड़ी भाई बहनों के आरक्षण का अधिकार कांग्रेस, NC और PDP ने 70 वर्षों तक छीन रखा था। पहाड़ियों को आरक्षण न देने का इनका फैसला था। PM मोदी ने कहा था- कांग्रेस, NC और PDP को जो करना है, वो करे। हम पहाड़ियों को आरक्षण देंगे। जब पहाड़ियों को आरक्षण दिया गया, तो फारूक साहब ने यहां के गुर्जर भाइयों को उकसाना शुरू किया कि आपका आरक्षण चला जाएगा। मैंने राजौरी में वादा किया था कि गुर्जर बकरवाल का आरक्षण एक प्रतिशत भी कम नहीं होगा और पहाड़ी भाई-बहनों को आरक्षण मिलेगा और हमने अपना वो वादा निभाया।
JKNC प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जब कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने राज्यसभा में दो राज्यों की तुलना की तो संख्याएं दिखाती हैं कि जम्मू-कश्मीर गुजरात से बहुत ऊपर है… यहां की सरकारों ने ऐसा किया और उन्होंने ऐसा तब किया जब अनुच्छेद 370 लागू था। हमने प्रगति की। लेकिन इन वर्षों में उन्होंने हमें क्या विकास दिया? क्या कीमतें कम हुईं और बेरोज़गारी कम हुई?…आखिरी गोली चलने तक इंतज़ार न करें। बैल को सींग से पकड़ें। मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पूछना चाहता हूं कि क्या उन्होंने आतंकवाद को हटाया?…”
वहीं जम्मू-कश्मीर चुनाव के पहले चरण में मतदान पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मतदान वैसा नहीं हुआ जैसा हमने उम्मीद की थी। ऐसे कई इलाके थे जहां 2014 की तुलना में मतदान कम हुआ। मौजूदा सरकार को इस बारे में सोचना चाहिएष हालांकि, हम वोट देने वाले लोगों के शुक्रगुजार हैं…”
10 साल बाद जम्मू-कश्मीर में हो रहा विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। 2019 में आर्टिकल-370 हटाने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है। जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें 7 अनुसूचित जातियों के लिए और 9 अनुसूचित जनजातियों के लिए रिजर्व हैं। 18 सितंबर को पहले फेज की वोटिंग हो चुकी है। 25 सितंबर को दूसरे फेज और 1 अक्टूबर को तीसरे फेज की वोटिंग होगी। 8 अक्टूबर को नतीजे आएंगे।