प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने मंगलवार को केंद्र सरकार को पत्र भेज बातचीत के लिए अपना एजंडा स्पष्ट किया। किसानों ने अपने पत्र में साफ कहा है कि चर्चा केवल तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों व न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैध गारंटी देने पर ही होगी। दो अन्य मुद्दों का भी पत्र में जिक्र किया गया है। इस बीच, केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने बुधवार को सरकार के साथ होने वाली बातचीत के मद्देनजर अपना प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च गुरुवार तक स्थगित कर दिया है।
सरकार ने किसान संगठनों को बुधवार को सातवें दौर की वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। चालीस किसान यूनियन का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को लिखे पत्र में कहा कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों व न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दा वार्ता के एजंडे का हिस्सा होना ही चाहिए। पत्र में यह भी कहा गया कि बैठक के एजंडे में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र व इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश में संशोधन को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि किसानों को दंडात्मक प्रावधानों से बाहर रखा जा सके।
पत्र के जरिए मोर्चा ने वार्ता के लिए सरकार के आमंत्रण को औपचारिक रूप से स्वीकार किया है। पत्र में यह भी कहा गया कि किसानों के हितों की रक्षा के वास्ते बिजली संशोधन विधेयक 2020 को वापस लिए जाने का मुद्दा भी वार्ता के एजंडे में शामिल होना चाहिए। इससे पहले 26 दिसंबर को भी किसानों ने वार्ता की एजंडा सूची के बाबत सरकार को पत्र लिखा था। ताजा पत्र में मोर्चा ने 26 दिसंबर के पत्र का हवाला देते हुए कहा कि तब उसने भूलवश वापसी के बजाय बिजली संशोधन विधेयक में बदलाव का जिक्र किया था।
इस बीच, केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने बुधवार को सरकार के साथ होने वाली बातचीत के मद्देनजर अपना प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च गुरुवार तक स्थगित कर दिया है। इससे पहले, संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की थी कि 30 दिसंबर को सिंघू बॉर्डर और टीकरी बॉर्डर से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग तक ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।
पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य हिस्सों से आए हजारों किसान दिल्ली के निकट सिंघू बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले 31 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाए।
किसानों की ओर से भेजा गया एजंडा
1. तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए अपनाई जाने वाली क्रियाविधि
2. राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए गए एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया
3. वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए अध्यादेश के दंड प्रावदानों से किसानों को बाहर करना
4. विद्युत संशोधन विधेयक के मसविदे को वापस लेने (पिछले पत्र में गलती से जरूरी बदलाव) की प्रकिया
(किसानों ने कहा, प्रासंगिक मुद्दे के समाधान के लिए जरूरी होगा कि वार्ता इस एजंडा के अनुसार हो।)