कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने शुक्रवार को एक शख्स को दबोचा, जो उनके प्रदर्शन में बाधा डालने से जुड़ी साजिश में कथित तौर पर लिप्त था। किसान नेताओं ने उसी आरोपी को साथ बैठाकर शुक्रवार देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें आंदोलन में खलल डाले जाने की साजिश उसी से उगलवाई।

नकाबपोश आरोपी ने स्वीकारा कि वह सिंघु बॉर्डर पर रेकी करने आया था और उसके गैंग के निशाने पर किसान नेताओं द्वारा 26 जनवरी को निकाली जाने वाली ट्रैक्टर परेड थी। आरोप है कि चार किसान नेता को गोली मारने का भी प्लान था और यह हमला 23-26 जनवरी के बीच किया जाना था।

समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, किसानों की ट्रैक्टर परेड निशाने पर थी। दरअसल, किसान यूनियन के नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर एक शख्स को पेश किया। आरोप लगाया कि चार किसान नेताओं को गोली मारने और आंदोलन में बाधा डालने की साजिश थी। पीसी के दौरान किसान नेता कुलवंत सिंह संधु बोले- एंजेसियों द्वारा किसान आंदोलन को भटकाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक, आरोपी शख्स को पुलिस के हवाले कर दिया गया है। इसी बीच, कांग्रेस के सीनियर प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस मुद्दे पर कहा- जब सब कुछ विफल हो जाता है, तब तानाशाहों के लिए सच की हत्या ही एकमात्र जरिया बचता है! शायद यह भी फेल हो जाए।

हालांकि, शनिवार सुबह उसी शख्स का फोटो एक वीडियो सामने आया, जिसने शुक्रवार रात कबूलनामा किया था। ताजा वायरल क्लिप में वह अपनी ही बातों पर यू-टर्न लेता नजर आया। बोला, ” कैंप में उन्होंने (किसानों ने) पैंट उतारकर मारा। ट्रॉली में उल्टा लटकाकर बेल्ट से पीटा। फिर जबरन कहानी कहलवाई।”

वहीं, कुछ किसानों ने इस पर कहा है कि उन्होंने आज तक आंदोलन में फूल तक नहीं तोड़ा है। वह क्यों ऐसा करेंगे। केंद्र के डर के चलते वह शख्स कुछ भी बोल सकता है। इसी बीच, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया- पुलिस पूछताछ कर रही है जब पूछताछ हो जाएगी तब उसका (नकाबपोश आदमी जो किसानों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कल दिखाई दिया था) आधिकारिक बयान दे दिया जाएगा।

किसान मांगों पर अड़े, केंद्र बोला- बाहरी ताकतें कर रहीं खेलः केंद्र सरकार और किसानों के बीच शुक्रवार को वार्ता तब अटक गई जब किसान नेता तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी मांग पर लगातार अड़े रहे। उन्होंने कृषि कानूनों को निलंबित रखने के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इस बीच, कृषि मंत्री ने कहा कि किसान नेताओं के अड़ियल रवैये के लिए बाहरी ‘‘ताकतें’’ जिम्मेदार हैं तथा जब आंदोलन की शुचिता खो जाती है तो कोई भी समाधान निकलना मुश्किल है।

11वें दौर की वार्ता के आज बेनतीजा रहने के साथ ही किसान नेताओं ने आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी। वार्ता के पिछले 10 दौर के विपरीत आज 11वें दौर की वार्ता में अगली बैठक की कोई तारीख तय नहीं हो पाई और दोनों पक्षों ने अपने रुख को कड़ा कर लिया। सरकार ने किसान यूनियनों से कहा कि यदि वे कानूनों को निलंबित रखने पर सहमत हों तो शनिवार तक बता दें तथा बातचीत इसके बाद ही जारी रह सकती है। सरकार ने बुधवार को पिछले दौर की वार्ता में किसानों के दिल्ली की सीमाओं से अपने घर लौटने की स्थिति में कानूनों को एक से डेढ़ साल के लिए निलंबित रखने तथा समाधान ढूंढ़ने के लिए संयुक्त समिति बनाने की पेशकश की थी। (भाषा इनपुट्स के साथ)