किसान संगठनों के सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद अब उनका आगे क्या स्टैंड होगा, वे आगे आंदोलन को किस तरह चलाएंगे, इस पर कई किसानों ने अपनी राय दी। उनका कहना है कि जब तक सरकार तीनों कानूनों को पूरी तरह वापस लेने की उनकी मांग स्वीकार नहीं करती तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे तथा इसे और तेज करेंगे। प्रदर्शन स्थल टीकरी बॉर्डर पर टीवी चैनल न्यूज-18 से बात करते हुए किसानों ने कहा सरकार अपनी जिद पर अड़ी है। वह कारपोरेट जगत का साथ देना चाहती है, किसानों की मांगे नहीं मान रही है।

हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सर्वजीत सिंह ठक्कर ने कहा कि “सरकार किसानों को कुछ देना नहीं चाहती है। वह मामले को सिर्फ लटका रही है। कहा कि 70 घंटे बातचीत में किसानों ने अपनी सभी बातें साफ-साफ उनको बता दी है, लेकिन सरकार कुछ नहीं सुन रही है। कहा कि सरकार ने मान लिया है कि यह कानून किसानों के खिलाफ है। किसानों के विरोध में है, ये किसानों का कचूमर निकाल के मानेंगे। लेकिन सरकार का जिद है कि केवल कारपोरेट का साथ देना है।”

सर्वजीत सिंह ठक्कर ने कहा कि “सरकार केवल कारपोरेट जगत का साथ देना चाहती है। उसकी जिद है कि वह उन्हीं के साथ रहेगी। अब किसान अपना आंदोलन जारी रखेंगे।” इसी तरह कई अन्य किसानों ने भी अपनी बातें रखीं। जम्मू से आए एक किसान ने कहा कि हिंदुस्तान के इतिहास में इतना शांतिपूर्ण प्रदर्शन हमने कभी नहीं देखा। किसानों ने कहीं कोई हिंसा नहीं फैलाई। कहा कि “यहां कितने खालिस्तानी है। हमें खालिस्तानी कहकर अपमानित किया जा रहा है। हर बार हमें यह सर्टीफिकेट क्यों लेना पड़ता है। यह किसानों का मुद्दा है सिखों का नहीं।”

इससे पहले तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों के सामने केंद्र सरकार ने प्रस्ताव रखा कि वह वर्तमान में लागू न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को जारी रखने के लिए “लिखित में आश्वासन” देने को तैयार हैं।

बहरहाल, किसान संगठनों ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि जब तक सरकार तीनों कानूनों को पूरी तरह वापस लेने की उनकी मांग स्वीकार नहीं करती तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे तथा इसे और तेज करेंगे। सरकार ने कम से कम सात मुद्दों पर आवश्यक संशोधन का प्रस्ताव भी दिया है, जिसमें से एक मंडी व्यवस्था को कमजोर बनाने की आशंकाओं को दूर करने के बारे में है।

इस बीच केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में चिल्ला बॉर्डर पर पिछले नौ दिनों से धरना दे रहे किसानों ने दिल्ली से नोएडा आने वाले रास्ते को बुधवार को खोलने का फैसला लिया है। गौतमबुध नगर जिले के अपर पुलिस आयुक्त उपायुक्त कानून व्यवस्था आशुतोष द्विवेदी और भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह के बीच हुई लंबी बातचीत के बाद किसानों ने दिल्ली से नोएडा आने वाले रास्ते को खोलने का फैसला लिया।