भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता और जाने-माने किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार के लाए विवादित तीन कृषि कानूनों के मुद्दे पर अन्नदाता ही केंद्र से बात नहीं कर रहे। हालांकि, इस दावे पर एंकर ने किसान नेता को उन्हीं की एक पुरानी चिट्ठी याद दिलाई, जिसमें कथित तौर पर उन्होंने केंद्र को बातचीत का प्रस्ताव देने से जुड़ी बात कही थी।

दरअसल, 26 मई को “हुंकार” नाम के शो में टिकैत से पूछा गया था कि यह महामारी का दौर। आप भीड़ जुटा विरोध क्यों कर रहे हैं? टिकैत ने जवाब दिया- इतनी बात सरकार के लोग बैठकर करें। चैनल वाले क्यों परेशान हो रहे हैं इतने? भई, सरकार बातचीत करे। हम ही कहां कर रहे बात।

एंकर ने इसी पर पूछा, “क्यों आप ही तो चिट्ठी लिख रहे थे?” किसान नेता बोले- लिख दी न। ठीक है, नहीं बुलाया तो क्या हुआ। हम वापस कहां जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह एक कॉल की दूरी पर हैं। वह किसानों से बात करेंगे, इसलिए हमने उन्हें चिट्ठी लिख दी थी। कम से कम रिकॉर्ड में तो रहेगा। कोई हमको तो नहीं कह पाएगा कि हम बातचीत नहीं करना चाहते। हमने लिखा था कि हम बात करना चाहते थे। शर्त यही थी कि बात जहां पर खत्म हुई थी, वहीं से शुरू होगी।

बता दें कि कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच अब तक बात नहीं बन पाई है। 26 मई को किसानों ने केंद्र के कथित तौर पर अड़ियल रुख को लेकर काला दिवस मनाया था, जिसे कुछ विपक्षी दलों का समर्थन मिला था।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर महामारी के दौरान कानून बन सकते हैं, तो वे वापस क्यों नहीं लिए जा सकते?

वैसे, भाजपा ने गुरुवार को दावा किया था कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के छह महीने पूरा होने पर आयोजित ‘‘काला दिवस’’ पूर्णत: विफल रहा और 12 विपक्षी दलों द्वारा इसका समर्थन किए जाने के बाद यह आंदोलन अपनी पवित्रता खो बैठा है।