कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसानों ने शनिवार को तीन घंटे के ‘चक्का जाम’ आंदोलन के दौरान पंजाब और हरियाणा समेत देश के विभिन्न हिस्सों में शांतिपूर्ण तरीके से सड़कें जाम कीं। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में इसका सर्वाधिक असर दिखा। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं किया गया।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जगह-जगह किसान संगठनों ने प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम अपनी मांगों का ज्ञापन स्थानीय प्रशासन को सौंपा। महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी कई जगह राजमार्ग जाम किए गए। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर में 40 किसान संगठनों ने शनिवार दोपहर 12 से तीन बजे तक देश भर में चक्का जाम का आह्वान किया था। प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि एंबुलेंस और स्कूल बसों को इस दौरान छूट दी गई थी।

संयुक्त किसान मोर्चे के वरिष्ठ नेता दर्शनपाल ने शनिवार के चक्का जाम के बारे में दावा किया कि इसे पूरे देश में समर्थन मिला जिससे एक बार फिर ‘साबित’ हो गया कि देशभर में किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुट हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन को समर्थन देने के लिए सभी वैश्विक हस्तियों का आभार जताया।

पत्रकार वार्ता में दर्शनपाल ने कहा कि किसान संगठन सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन वे तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने सिंघू बार्डर पर कहा, ‘हम बातचीत के लिए तैयार हैं। गेंद सरकार के पाले में है। हमने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया कि पिछला प्रस्ताव (कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने) हमें स्वीकार्य नहीं है। अब उन्हें नए प्रस्ताव के साथ आना चाहिए।’

शनिवार के प्रदर्शनों के दौरान देश के किसी भी हिस्से से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। हालांकि, कई राज्यों में दर्जनों लोगों को हिरासत में ले लिया गया। दिल्ली में करीब 60 प्रदर्शनकारियों को शहीदी पार्क में हिरासत में लिया गया। सिंघू बॉर्डर पर पहले की तुलना में कहीं अधिक भीड़ नजर आई क्योंकि और अधिक संख्या में ट्रैक्टर एवं किसान प्रदर्शन स्थलों पर पहुंच रहे थे।

पंजाब और हरियाणा में सड़कों के बीचोंबीच किसानों ने अपनी ट्रैक्टर ट्रॉलियां खड़ी कर दीं और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कई स्थानों पर प्रदर्शन में महिलाओं की भी अच्छी खासी संख्या में भागीदारी रही।

किसान नेताओं ने दावा किया कि तीन घंटे का उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा। भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा, ‘चक्का जाम पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा।’ अधिकारियों ने कहा कि पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी थी और यातायात का मार्ग बदलने के लिए सभी प्रबंध किए गए थे।
कोकरीकलां ने कहा कि उनके संगठन ने पंजाब के संगरूर, बरनाला और बठिंडा समेत 15 जिलों के 33 स्थानों पर सड़कें अवरुद्ध की। पंजाबी अभिनेताओं- बिन्नू ढिल्लों, देव खरौद और गायक पम्मी बाई ने पटियाला में प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों ने राजस्थान, महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में भी सड़कें अवरुद्ध कीं। राजस्थान के गंगानगर, हनुमानगढ़, धौलपुर व झालावाड़ सहित कई जगहों पर सड़कें जाम की गईं। तेलंगाना के विभिन्न हिस्सों में किसानों के साथ कांग्रेस और वाम दलउत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में शनिवार को किसानों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने इन कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपा। के कार्यकर्ता भी शामिल हुए। चेन्नई और तमिलनाडु के अन्य हिस्सों में भी प्रदर्शन हुए।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्­ता आलोक वर्मा ने कहा, ‘हमने चक्का जाम में भाग नहीं लिया, लेकिन राज्­य के विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।’ अमेठी में सैकड़ों महिलाओं ने हाथ में लाठी, डंडे, हंसिया, खुरपा लेकर सड़क पर प्रदर्शन किया। वहां प्रदर्शनकारियों ने अभिनेत्री कंगना रनौत का पुतला भी फूंका।

महाराष्ट्र के कराड में कोल्हापुर नाका पर दोपहर के समय व्यस्त सड़क पर प्रदर्शन करने के चलते पुलिस ने कम से कम 40 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया, जिनमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण की पत्नी सत्वशीला चव्हाण भी थीं। हालांकि, बाद में सभी को रिहा कर दिया गया।

कर्नाटक में बंगलुरु को जोड़ने वाले राजमार्गों को जाम किया गया। बंगलुरु, मैसूरू, कोलार, कोप्पल, बागलकोटे, तुमकुरु, दावणगेरे, हासन, मंगलुरु, हावेरी, शिवमोगा, चिकबल्लापुर और अन्य स्थानों पर प्रदर्शन किया गया।

सिंघू, गाजीपुर और टिकरी में इंटरनेट सेवाएं फिर रोकीं
गृह मंत्रालय ने दिल्ली की सिंघू, गाजीपुर और टिकरी सीमाओं पर इंटरनेट सेवाओं को शनिवार की रात 12 बजे तक निलंबित कर दिया। किसानों के चक्का जाम को लेकर यह आदेश दिया गया।

गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर किसान दिल्ली के सिंघू, गाजीपुर और टिकरी बार्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन तीन विरोध स्थलों के अलावा इंटरनेट सेवाएं इनके आसपास के क्षेत्रों में भी निलंबित की गर्इं। दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकालीन या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के तहत सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि शनिवार को किसान यूनियनों के ‘चक्का जाम’ के आह्वान के कारण इंटरनेट सेवाएं निलंबित की गर्इं। इससे पहले सिंघू, गाजीपुर और टिकरी सीमाओं और इनके आसपास के इलाकों में 29 जनवरी की रात 11 बजे से 31 जनवरी की रात 11 बजे तक इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने के आदेश दिए गए थे। बाद में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अवधि को दो फरवरी तक बढ़ा दिया गया था। किसानों के ‘ट्रैक्टर जुलूस’ के दौरान व्यापक पैमाने पर हुई हिंसा के कारण 26 जनवरी को दिल्ली के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था।