हरियाणा के उपमुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला का कहना है कि वे अभी चल रहे किसान आंदोलन में किसी तरह की राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं देख रहे हैं। हरित क्रांति के बाद से ही अपनी समस्याओं को लेकर अलग-अलग समय पर किसान आंदोलित रहे हैं। हरियाणा सरकार पूरी तरह से किसानों की खुशहाली के साथ है। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही केंद्र सरकार से बातचीत सकारात्मक अंजाम तक पहुंचेगी और किसान संतुष्ट होकर अपने खेतों की तरफ लौटेंगे। उन्होंने कहा कि नई तकनीक को अपनाकर किसानी को मुनाफे की अर्थव्यस्था में ले जाना हरियाणा सरकार का लक्ष्य है। चंडीगढ़ में दुष्यंत चौटाला के साथ कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की विस्तृत बातचीत के चुनिंदा अंश।
प्रश्न: किसान आंदोलन के बीच बहस में हम बात कर रहे हैं दुष्यंत चौटाला से। राज्य के युवा चेहरों में से एक जिस पर बहुत उम्मीदें टिकी हैं। आपके बारे में बाकी बात आगे, सबसे पहले तो यही कि आप ऐसे परिवार से आते हैं जो न सिर्फ किसानों के लिए काम करने के लिए जाना जाता है, बल्कि खुद भी किसान है। आप किसान आंदोलन को किस तरह देख रहे हैं? क्या इसमें किसी राजनीतिक दखलंदाजी को देखते हैं?
उत्तर: मैं नहीं मानता कि किसानों की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि है। ये वो लोग हैं जो साल में नौ महीने यही सोचते हैं कि खेत में सिंचाई कैसे करनी है, किस नहर में जाना है, कैसे रोपण करना है, कैसे छिड़काव करना है। ये अपने आप में एक वैज्ञानिक हैं जो पूरे समय अपनी फसल का अध्ययन करते हैं और उसके लिए कोई नुस्खा निकालते हैं।
इसे वृहत्तर परिप्रेक्ष्य में देखें तो सब इकट्ठे होकर कोई मुहिम बनाते हैं तो इस तरह के आंदोलन होते हैं। ये आंदोलन सिर्फ पंजाब या हरियाणा तक सीमित नहीं हैं। महाराष्टÑ के किसान पांच सौ किलोमीटर लाल कपड़े पहनकर गए, सरकार ने उनकी बात मान ली। तंबाकू किसान जब केरल में आंदोलन करने उतरे थे तो सरकार ने उनकी बात मानी। आंदोलन चलते रहे हैं। देश की आजादी के बाद जब हरित क्रांति की शुरुआत हुई तो उसके बाद किसान आंदोलन भी लगातार हुए। लोकतंत्र की खूबसूरती यही है कि हर किसी को अपनी बात कहने का हक मिले। सरकार मांगों पर वार्ता करती है और सहमति बनने पर उन्हें पूरा करती है। इस बार भी सरकार चार वार्ताओं का दौर पूरा कर चुकी है और पांचवीं की पेशकश की है। जल्द ही सकारात्मक नतीजा निकलेगा।
प्रश्न: आप इस आंदोलन व सरकार के सकारात्मक नतीजे को लेकर उम्मीदजदा हैं?
उत्तर: जी बिल्कुल।
प्रश्न: फिर दिक्कत कहां पर है?
उत्तर: मुझे लगता है कि इसके लिए सबसे पहले राज्य की इच्छाशक्ति होनी चाहिए। अगर हरियाणा 14 फसलें एमएसपी पर ले सकता है, 18 फसलें भावांतर भरपाई (बाजार और समर्थन मूल्य के अंतर पर) पर ले सकता है तो पंजाब को भी इसे शुरू करना चाहिए। मगर मौजूदा पंजाब सरकार ने तो अपनी आर्थिक नीति ऐसी बना रखी है कि उनके बही-खाते में तनख्वाह देने के लिए पैसे नहीं हैं तो किसानों का कहां से समर्थन करेंगे। हरियाणा किसानों का पूरा समर्थन कर रहा है।
अगर हमने चार साल में 1,00,000 करोड़ के सिर्फ धान और गेहूं खरीदे तो यह संभव कैसे हो पाया? क्योंकि किसानों का समर्थन करने की सरकार की इच्छाशक्ति थी। पूरे भारत में मैं पहला था जिसने एफसीआइ के लिए खरीद सुनिश्चित की। इसका पैसा किसी आढ़ती नहीं, सीधे किसानों के खाते में जमा करना शुरू किया। हरियाणा में आप किसी भी किसान से बात कर लीजिए। वह बताएगा कि ब्रितानी हुकूमत से जो यह व्यवस्था शुरू हुई थी उसे आज तक कोई नहीं दे पाया था। हमने इसे सबसे पहले दिया।
प्रश्न: तो आपको लगता है कि यह राज्यों की इच्छाशक्ति का मामला है, जो किसानों के लिए अपना पूरा जोर नहीं लगा पा रही है?
उत्तर: सुनिश्चित एमएसपी और खेती ये दो विषय हैं। हमारे संविधान में खेती राज्य का विषय है। उसे तय करना होता है। मगर महंगाई को देखते हुए कीमत भारत सरकार तय करती है और सारे राज्य उसका पालन करते हैं। मैं तो माननीय प्रधानमंत्री जी को पत्र लिख कर भी ये सुझाव दूंगा कि भविष्य में जब राजग दुबारा आए तो उस समय समवर्ती सूची के विषय के अंदर जैसे हम जेल, श्रम के क्षेत्र में माडल कानून लेकर आए हमें इस पर भी अधिनियम लाना चाहिए।
अधिनियम लाकर राज्यों को भी जोड़ना चाहिए कि आप तय करें। मगर उसके अंदर हमें यह भी देखना पड़ेगा कि सारे गेहूं न लगाने लग जाएं। फिर तो अमेरिका वाली हालत हो जाएगी कि गेहूं को समुद्र में फेंकना पड़ा। हमें फसलों की विविधता को लेकर सहयोग करना पड़ेगा। एक और बात है। हम जितने ज्यादा तिलहन और दलहन को उगा पाएंगे हमें उतना ज्यादा बाहर से आयात कम करना पड़ेगा। दूसरी चीज है मोटे अनाज यानी मिलेट्स पर काम करना। आज वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए भारत को उत्पादन बढ़ाना होगा।
आज देश विश्व का 34 फीसद से ज्यादा मिलेट्स उगाता है। क्या हम इस 34 को 40 से 45 फीसद नहीं पहुंचा सकते? हमारे पास क्षमता है, श्रमशक्ति है। इन्हें लेकर हम जैसे सहयोग कर पाएं चाहे केंद्र-राज्य भागीदारी में कर पाएं, चाहे केंद्र समर्थन करे या राज्य समर्थन करे। कोई नीति तो बनानी पड़ेगी। मैंने वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञों को भी सुना है कि इस तरह की कोई सुविधा बनती है तो केंद्र पर भी कोई बोझ नहीं आएगा। हम अपने किसानों को वैश्विक मांग की पूर्ति करने के लायक बनाएं, कृषि में निर्यात की अर्थव्यवस्था बनाएं, खेती का विविधिकरण करें तो तयशुदा तौर पर आने वाले समय में किसानों को फायदेमंद कीमत मिलेगी।
प्रश्न: एक ऊर्जावान और उत्साही युवा के रूप में आपने हरियाणा के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो आपसे बहुत सी उम्मीदें थी। आपने अपने पितृ राजनीतिक दल से अलग नई राजनीतिक पहचान बनाई। राजग से जुड़ने के पांच साल पूरे हो जाएंगे। इस मुकाम पर कैसा महसूस कर रहे हैं आप?
उत्तर: मैं मानता हूं कि 31 साल की उम्र में मुझे ऐसे पद पर जिम्मेदारी मिली जहां सवाल था कि प्रदेश की आशाओं को कैसे आगे लेकर चलें? उस पर काम करने का कैसा अवसर हम निकालते हैं? इस पर काम करने का मौका मिला। सवा चार साल के दौरान प्रदेश के अंदर हमने एमएसपी (मैक्सिमम सपोर्ट फार द पीपल) पर काम किया। किस तरीके से अधिकतम समर्थन को जमीन तक पहुंचाया जाए, उसके ऊपर हमारी सरकार का लक्ष्य कोरोना जैसी महामारी, किसान आंदोलन जैसी मुश्किल में भी नहीं भटका।
हर क्षेत्र में वृद्धि हुई। हरियाणा उन चुनिंदा राज्यों में है जहां निवेश और औद्योगीकरण आया। नए उद्योगों को हमने प्रोत्साहन दिया। प्रदेश के अंदर 13 नई नीतियां बनाई जिससे अलग-अलग क्षेत्रों का विकास हो। इसके साथ प्रदेश का बुनियादी ढांचा कैसे मजबूत बने, आम लोगों को कैसे उनके दरवाजे तक सुविधाएं मिले, ये हमारी प्राथमिकता थी। हमारी 600 सुविधाएं ऐसी हैं जिसने आम लोगों की जिंदगी बदल दी। एक बुजुर्ग को पेंशन बनाने में पहले एक और उम्र निकल जाती थी, अब साठ साल का होते ही उसकी वृद्धावस्था पेंशन शुरू हो जाती है।
सेवा केंद्र आनलाइन होकर बाबुओं के चंगुल से मुक्त हुए। पीला राशन कार्ड गरीबी रेखा से नीचे के लोगों की बुनियादी जरूरत है। मुझे वो दिन भी याद है जब मैं सांसद था और मोटी-मोटी फाइलें लेकर औरतें मिला करती थीं और कहती थीं हमारी मंजूरी नहीं आ रही। आज गांव या शहर के ‘सीएससी’ में 20 मिनट की कार्रवाई के अंदर काम होगा। देश में हरियाणा अकेला राज्य है जिसने गरीबी रेखा से नीचे की सीमा एक लाख 20 हजार से बढ़ाकर एक लाख 80 हजार किया। एक करोड़ 80 लाख का एक साफ्टवेयर विकसित कर हमने हरियाणा प्रदेश की तीन करोड़ के लगभग आबादी को सुविधा दे दी कि दो मिनट में अपने राजस्व रिकार्ड को निकाल सकते हैं। पहले एक करोड़ 21 लाख लोग राशन लेते थे आज एक करोड़ 79 लाख हैं। हमने अधिकार काटे नहीं उसे बढ़ाया है।
प्रश्न: किसानी के क्षेत्र में आप अपनी सरकार के मुकाम को किस तरह देखते हैं?
उत्तर: हरियाणा अकेला राज्य बना जिसके अंदर हमने 14 फसलों की एमएसपी सुनिश्चित की। पड़ोसी पंजाब को देख लीजिए, वह दो से तीसरी पर भी नहीं आ पाया। राजस्थान सिर्फ पांच जिलों में एक गेहूं की फसल को ले पाया। फसलों की विविधता पर ध्यान दिया। जनता को जीरी-गेहूं से आगे निकाला है हमारी सरकार ने। सरसों हमने खरीदी, बाजरा हमने खरीदा। सूरजमुखी जिसके लिए धरना चला पंजाब के लोगों का उसकी खरीद भी सिर्फ हरियाणा ने सुनिश्चित की।
मैं एक कदम आगे गया कि सूरजमुखी की खरीद सुनिश्चित होगी तो उसका उपयोग क्या होगा? जब कोई सोच नहीं पा रहा था तो मैंने राशन डिपो में सरसों के तेल की तरह सूरजमुखी का तेल लेना शुरू करवाया। हम तो बचपन से सुनते थे कि सूरजमुखी का तेल दिल के लिए अच्छा होता है। आज गरीब आदमी के परिवार को दो लीटर तेल मिल रहा है। खेत से लेकर घर तक, हमारा हर कदम किसानों को मजबूत कर रहा है।
प्रश्न: पिछली सरकार की तुलना में आप आज खुद को कितने नंबर देंगे?
उत्तर: आप तुलना करके देखेंगे तो अब चौतरफा विकास है। हमने भूपेंद्र सिंह हुड्डा जी का भी राज देखा है। रोहतक से निकलते थे, सड़कें खत्म हो जाती थी। आज हरियाणा में हमने सड़क क्षेत्र को समृद्ध किया। लगभग दस हजार किलोमीटर सड़क प्रधानमंत्री सड़क योजना, ग्रामीण सड़क योजना, नेशनल हाइवे, एक्सप्रेस वे के अंदर अतिरिक्त जुड़ी है। कुल मिलाकर इतने छोटे प्रांत में चार साल के दौरान 30 हजार किलोमीटर से ज्यादा रोड नेटवर्क को विकसित किया।
मैं कई बार सोचता हूं कि विपक्ष के नेता हमें कोसते तो हैं। लेकिन, हमारी बदौलत पूरे हरियाणा में पंद्रह से बीस कार्यक्रम करवाते हैं क्योंकि सड़क संपर्क अच्छा हो गया। सड़क बेहतर होने से उद्योग बेहतर हुए हैं। बिना किसी निवेश सम्मेलन के, समझौतों के चार साल में 40 हजार करोड़ का निवेश आया। जो मारुति हरियाणा छोड़कर गुजरात चली गई थी, उसको प्रेरित कर दुनिया का सबसे बड़ा गाड़ियों का विनिर्माण संयंत्र बनाया जिसमें दस लाख गाड़ी एक वर्ष में बनेगी। क्षेत्रवाद से आगे बढ़कर खरखौदा में इसे लाया। मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री का क्षेत्र है, विकास का पैमाना यह नहीं रहा। जल्द ही खरखौदा का विकास गुरुग्राम की तर्ज पर होगा। विकास में हम मील का पत्थर साबित हो रहे हैं।
प्रश्न: सरकार में आप जैसे युवा चेहरा होने का लाभ प्रदेश ने किस तरह से महसूस किया।
उत्तर: युवा चेहरा होने का लाभ यह है कि अनछुए क्षेत्रों तक पहुंचा। जब मैंने नागरिक विमानन विभाग की जिम्मेदारी संभाली तो मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ये क्यों तो मैंने कहा कि ये मेरी पसंद का क्षेत्र है। चार साल में इस क्षेत्र को 32 करोड़ के बजट से 980 करोड़ का बजट ले गया। पांच हवाई पट्टियां थीं जो बंसीलाल, देवीलाल जी के समय पूरी हुई थी। आज उन पांच हवाई पट्टियों का पूरा इस्तेमाल करना हमारी उपलब्धि है। आज 200 युवा ‘हरियाणा नागरिक उड्डयन संस्थान’ के अंदर करनाल पिंजौर में प्रशिक्षण ले रहे हैं।
हमारे पास दो ‘फ्लाइंग ट्रेनिंग आपरेटर’ हैं, जिनके पास 200 की क्षमता है, 178 लोग वहां प्रशिक्षण ले रहे हैं। लगभग 30 से ऊपर युवा ‘इंडिगो’, ‘एअर इंडिया’ में नौकरी पा चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि भविष्य में पायलटों की जरूरत बढ़ेगी तो उसे पूरा करने के लिए हरियाणा ने कदम उठाए। यहां 73 सौ एकड़ का एशिया का सबसे बड़ा हवाईअड्डा बनने जा रहा है। ‘एरो डिफेंस प्रोडक्शन’ का एक गढ़ हिसार बन जाएगा। आगे देखिएगा, एविएशन कालेज शुरू करेंगे। हम इस क्षेत्र में नई तकनीक पर काम कर रहे हैं।
प्रश्न: भाजपा के साथ आपके संबंध किस तरह के हैं इस समय?
उत्तर: जैसे शुरू हुए थे बिल्कुल वैसे ही हैं। मुझे पहले दिन ही लोगों ने कहा था कि 15 दिन में सरकार टूटेगी। अभी आपने कहा, सवा चार साल हो गए। यह सिर्फ संबंधों के कारण ही चला। यह रिश्ता एक ही सोच के साथ चला कि जनता को ‘मैक्सिमम सपोर्ट’ देना है। प्रदेश के विकास में अपना अधिकतम योगदान देना है।
प्रश्न: आगे चुनावों को लेकर राजग के साथ गठबंधन की कैसी स्थिति है?
उत्तर: राजग की अभी हाल में तो कोई बैठक हुई नहीं है। गठबंधन में बड़ा कौन और छोटा कौन ये तो समय की बात है। हमारी सोच एक थी कि हम कैसे प्रदेश को लेकर आगे बढ़ें और हमने इसमें सफलता प्राप्त की है।
प्रश्न: राज्य में कांग्रेस के भविष्य को आप किस तरह देखते हैं?
उत्तर: कांग्रेस की समस्या यह है कि उनके पास कोई निर्णायक, सक्षम नेतृत्व नहीं है। हाईकमान फैसला नहीं ले पा रहा है। महाराष्ट्र में जो परिवार दो पीढ़ी से कांग्रेस का नेतृत्व कर रहा था वह भी छोड़ जाता है। राजनीतिक शक्ति बहुत बड़ी बात है। मैं हरियाणा में कांग्रेस का कोई भविष्य बनता हुआ नहीं देख पा रहा हूं। यहां तो कांग्रेस तीन समूहों में बंटी हुुई है। मुझे याद है चौटाला साहब नरवाना से चुनाव लड़ रहे थे, मुख्यमंत्री थे। वहां पर सोनिया गांधी आईं, रणदीप सुरजेवाला को शक्ति के तौर पर दिखाया, लोगों ने कहा ये मुख्यमंत्री। भिवानी में बंसीलाल जी के परिवार में ताकत दिख गई। रोहतक आईं तो हुड्डा जी ताकत दिखे, भजन लाल जी खुद चेहरा थे। छह चेहरे बनाए। बाद में हुड्डा जी मुख्यमंत्री बने। अब राजनीति पूरी तरह बदल चुकी है। पुरानी सोच के साथ कांग्रेस नहीं चल सकती है। उसे खुद को आधुनिक बनाना होगा।
प्रश्न: आप हरियाणा में कांग्रेस से किसी तरह का खतरा नहीं महसूस कर रहे हैं?
उत्तर: बिल्कुल नहीं।
प्रश्न: क्या आपको लगता है कि राजग के जो छोटे सहयोगी हैं उन्हें अपने अस्तित्व पर किसी तरह का खतरा महसूस होता है?
उत्तर: ऐसी सोच का मुझे कोई नहीं दिखता। सहयोगी दलों के तौर पर हमारे साथ समानता का व्यवहार होता है। क्षेत्रीय दल के तौर पर हमारी सोच का राजग सरकार ने समर्थन किया है, तभी हम साथ आगे बढ़ रहे हैं।
प्रश्न: अभी आपने कहा कि आपकी राजनीति राज्य केंद्रित है? क्या आपको लगता है कि वो स्थिति आ चुकी है जब आपको पार्टी का विस्तार करना चाहिए? खास कर पड़ोसी राज्यों में?
उत्तर: क्यों नहीं। हमने राजस्थान में चुनाव लड़ा था। हमने 19 विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और आम आदमी पार्टी ने 88 क्षेत्रों में। हमारा वोट शेयर आप आदमी पार्टी से ज्यादा था।
प्रश्न: भविष्य के अंदर पार्टी का विस्तार कितना हो पाएगा?
उत्तर: इसका जवाब तो इतिहास के पन्नों पर है। चौधरी देवीलाल जी जब देश का नेतृत्व कर सकते हैं, तमिलनाडु में जाकर लोगों को जोड़ कर ला सकते हैं तो क्या पता है कि जनता की भावना कब और किसके साथ जुड़ जाए। इस मामले में मैं नरेंद्र मोदी जी को आदर्श मानता हूं। जिन क्षेत्रों तक भारतीय जनता पार्टी कभी पहुंच भी नहीं पाई थी आज वहां मात्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से अपना वर्चस्व बढ़ा पाई है। यह सबक तो आज हर राजनीतिक दल को सीखना चाहिए। इतिहास गवाह है कि राजनीति की कोई सीमारेखा नहीं होती है।