विज्ञान भवन में केंद्रीय मंत्रियों और आंदोलनकारी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बुधवार को हुई वार्ता में तल्खी थोड़ी कम हुई। हालांकि, अपनी दो मुख्य मांगों- तीनों कृषि कानूनों को खारिज करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून की मुख्य मांगों को लेकर किसान अडिग रहे। इन मांगों को लेकर सरकार ने समिति बनाने का प्रस्ताव रखा। इससे पहले हुई वार्ता में भी सरकार ने समिति गठन करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे किसानों ने नकार दिया था।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल एवं वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने दिल्ली के विज्ञान भवन में 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ सातवें दौर की वार्ता की। इसमें सरकार ने बुधवार को एमएसपी खरीद प्रणाली के बेहतर क्रियान्वयन पर एक समिति गठित करने की पेशकश की और बिजली शुल्क पर प्रस्तावित कानूनों तथा पराली जलाने से संबंधित प्रावधानों को स्थगित रखने पर सहमति जताई, लेकिन किसान संगठनों के नेताओं के साथ पांच घंटे से अधिक समय तक चली वार्ता में किसानों की मुख्य मांगों पर सरकार कोई भरोसा नहीं दे पाई। अब चार जनवरी को फिर से वार्ता होगी।
केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक दोपहर बाद लगभग ढाई बजे शुरू हुई। बैठक के बाद पंजाब किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रुल्दू सिंह मनसा ने कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद पर कानूनी समर्थन देने को तैयार नहीं है और इसकी जगह उसने एमएसपी के उचित क्रियान्वयन पर समिति गठित करने की पेशकश की है। बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि चार विषयों में से दो मुद्दों पर पारस्परिक सहमति के बाद 50 फीसद समाधान हो गया है और शेष दो मुद्दों पर चार जनवरी को चर्चा होगी। तोमर ने कहा, ‘तीन कृषि कानूनों और एमएसपी पर चर्चा जारी है तथा चार जनवरी को अगले दौर की वार्ता में यह जारी रहेगी।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी कहा कि सरकार प्रस्तावित विद्युत संशोधन विधेयक और पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से संबंधित अध्यादेश को क्रियान्वित न करने पर सहमत हुई है। बैठक से पहले वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह निर्णायक बैठक होगी और सरकार चाहती है कि प्रदर्शनकारी किसान नए साल का जश्न मनाने के लिए अपने घरों को लौट जाएं। इससे पहले तोमर ने भी कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि 2020 के समाप्त होने से पहले गतिरोध का समाधान निकल आएगा।
बैठक के लिए जाने से पहले टिकैत ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं, किसान दिल्ली नहीं छोड़ेंगे और राजधानी की सीमाओं पर ही नए साल का जश्न मनाया जाएगा। पंजाब के किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा, ‘हमारा कोई नया एजंडा नहीं है। सरकार यह कहकर हमारी छवि खराब कर रही है कि किसान बातचीत के लिए नहीं आ रहे हैं। इसलिए हमने वार्ता के वास्ते तारीख दी।’
अखिल भारतीय किसान सभा के पंजाब अध्यक्ष बलकारन सिंह बराड़ ने कहा कि बैठक सकारात्मक रही। सरकार लगातार कहती रही है कि हमें आंदोलन को खत्म कर देना चाहिए और एक समिति बनानी चाहिए। लेकिन हमने उनकी बात नहीं मानी। हम अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे। हम कोई समिति नहीं बनाएंगे। अब हम अगली बैठक में एमएसपी पर चर्चा करेंगे।
केंद्र ने सितंबर में लागू तीनों नए कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए ‘खुले मन’ से ‘तार्किक समाधान’ तक पहुंचने के लिए किसान यूनियनों को 30 दिसंबर को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने मंगलवार को अपने पत्र में कहा था कि एजंडे में तीनों विवादित कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देने के विषय को शामिल किया जाना चाहिए।
चार विषयों में से दो मुद्दों पर पारस्परिक सहमति के बाद 50 फीसद समाधान हो गया है। तीन कृषि कानूनों और एमएसपी पर चर्चा जारी है तथा चार जनवरी को अगले दौर की वार्ता में यह जारी रहेगी। – नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि मंत्री
सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद पर कानूनी समर्थन देने को तैयार नहीं है और इसकी जगह उसने एमएसपी के उचित क्रियान्वयन पर समिति गठित करने की पेशकश की है। इस पर चार को बात होगी। – रुल्दू सिंह मनसा, प्रदेश अध्यक्ष, पंजाब किसान यूनियन
हमारा कोई नया एजंडा नहीं है। सरकार यह कहकर हमारी छवि खराब कर रही है कि किसान बातचीत के लिए नहीं आ रहे हैं। इसलिए हमने वार्ता के वास्ते तारीख दी। – बलदेव सिंह सिरसा, किसान नेता
सरकार लगातार कहती रही है कि हमें आंदोलन को खत्म कर देना चाहिए और एक समिति बनानी चाहिए। हमने उनकी बात नहीं मानी। हम अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे। हम कोई समिति नहीं बनाएंगे। अब हम अगली बैठक में एमएसपी पर चर्चा करेंगे। – बलकारन सिंह बराड़, अखिल भारतीय किसान सभा के पंजाब अध्यक्ष