Farmers Protest: भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि जो ट्रैक्टर खेतों में चलते हैं वे अब दिल्ली में एनजीटी के दफ्तर में भी चलेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि देश में अब ट्रैक्टर क्रांति होगी और 40 लाख ट्रैक्टर इससे जोड़े जायेंगे।
चक्का जाम के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि पहले एनजीटी वाले तो पूछते ही नहीं थे कि कौन सा वाहन 10 साल पुराना है। आखिर वो चाहते क्या हैं ? 10 साल से अधिक पुराने ट्रैक्टरों को हटाना और कॉरपोरेट की मदद करना ? अब 10 साल से अधिक पुराने हुए ट्रैक्टर चलेंगे और आंदोलन को भी मजबूत करेंगे। साथ ही टिकैत ने यह भी कहा कि किसान आंदोलन में देश भर के किसान अधिक से अधिक संख्या में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि अभी तो दिल्ली में 20,000 ट्रैक्टर थे लेकिन अगला लक्ष्य 40 लाख ट्रैक्टर लाने का है। इसके अलावा उन्होंने लोगों को अपने ट्रैक्टरों को ”ट्रैक्टर क्रांति” से जोड़ने का आह्वान भी किया।
जदयू नेता के सी त्यागी ने कहा है कि तीनों कानूनों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर देना चाहिए और एमएसपी किसानों का संवैधानिक अधिकार बने। साथ ही उन्होंने कहा है कि अगर सरकार इन कानूनों को डेढ़ साल तक टाल सकती है तो अनिश्चितकाल के लिए भी रोक सकती है.
पीटीआई भाषा को दिए गए इंटरव्यू में जदयू नेता के सी त्यागी ने कहा कि सरकार ने जो डेढ़ साल के लिए कानूनों को टालने का प्रस्ताव रखा है वह एक स्वागत योग्य कदम है। सरकार एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने को भी तैयार है। हमारा सुझाव यह है तीनों कानूनों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर देना चाहिए और एमएसपी किसानों का संवैधानिक अधिकार बने। साथ ही उन्होंने कहा है कि वैसे भी सरकार इन कानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित रखने को तैयार है। फिर इसे अनिश्चितकाल तक टालने में क्या दिक्कत है।
इसके अलावा के सी त्यागी ने कहा कि एमएसपी को कानून बनाने की मांग बिलकुल जायज है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। सरकारी खरीद है लेकिन उसके बाहर सरकार द्वारा घोषित एमएसपी किसानों को नहीं मिलता है। इसकी वजह से उसको आर्थिक नुकसान होता है। लिहाजा सबसे पहले जरूरी है कि इसको संवैधानिक अधिकार बनाया जाए। इसको संवैधानिक जामा पहनाया जाए। वैसे भी सरकार एमएसपी को लेकर किसानों की मांग पर लिखित आश्वासन देने को तैयार है।
Highlights
किसान महापंचायत में श्योराण खाप-25, फौगाट खाप-19, सांगवान खाप-40, हवेली खाप, धनखड़ खाप, चिड़िया- पांच खाप, हुड्डा खाप, कादयान खाप, दहिया खाप, अहलावत खाप, नांदल खाप के पदाधिकारी मौजूद रहे।
कृषि कानून वापिस लिए जाएं और एमएसपी की गारंटी तय हो
किसानों पर जो झूठे मुकदमें दर्ज किए गए हैं वो रद्द होने चाहिए
दिल्ली परेड में गिरफ्तार युवाओं और किसानों की तुरंत रिहाई हो
दिल्ली हिंसा में किसानों के जो वाहन जब्त किए गए हैं उन्हें छोड़ा जाए
एनएच-152 डी के लिए अधिग्रहित जमीन का उचित मुआवजा किसानों को मिले
किसान आंदोलन में 26 जनवरी को हुई हिंसा के दौरान उपद्रव फैलाने के आरोप में सुखदेव सिंह नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है। सुखदेव सिंह को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया गया है। सुखदेव सिंह पर पुलिस ने 50,000 रुपए का इनाम घोषित किया था।
संयुक्त किसान मोर्चा कार्यकारिणी सदस्य दर्शनपाल सिंह ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि 26 जनवरी के प्रकरण के बाद सरकार ने दमनकारी नीतियां अपनाई हैं लेकिन किसान संगठनों और खापों की मदद मिलने से किसान आंदोलन अब और मजबूत हो गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली बॉर्डर धरनास्थलों पर सरकार बिजली-पानी समेत अन्य आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई बंद करने पर तूली है। सरकार इस बात को अच्छी प्रकार से समझ ले कि किसान अब पीछे हटने वाले नहीं हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की 40 सदस्यीय कमेटी में शामिल बलबीर सिंह राजेवाल ने महापंचायत में कहा कि किसान जमीन से अलग नहीं रह सकता।
कितलाना टोल प्लाजा पर रविवार को आयोजित किसान महापंचायत में पंद्रह हजार से अधिक किसान मौजूद रहे। महापंचायत को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत, दर्शनपाल सिंह और बलबीर सिंह राजेवाल ने संबोधित किया। महापंचायत में हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर-प्रदेश की 50 से अधिक खापों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। करीब ढाई घंटे चली महापंचायत में मंच से पांच प्रस्ताव पारित किए गए। किसान नेता राकेश टिकैत ने मंच से एलान किया कि किसानों की मांगें पूरी होने तक आंदोलन किसी भी सूरत में खत्म नहीं होगा। सरकार ये बात भली-भांति समझ ले।
भिवानी के कितलाना टोल पर कृषि बिल विरोधी किसानों के समर्थन में पहुचे किसान नेता राकेश ने कहा कि 'जब तक तीनों कृषि कानून वापिस नहीं हो जाते तब तक तब तक घर वापसी नहीं होगी। आपस में बंटना मत फसल का फैसला किसान करेंगे।' टिकैत ने यहां लोगों से आह्वान किया कि गांव-गांव कह दो दिल्ली जरूर पहुंचे। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि संयम से काम लें। उन्होंने खापों की सराहना करते हुए कहा कि खाप सिस्टम मजबूत है और आज इसकी जरूरत भी है।
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक गाजीपुर बॉर्डर को पूरी तरह से बंद किया गया है। ऐसे में वहां से दिल्ली आने-जाने वाले लोग मुर्गा मंडी, गाजीपुर R/A, रोड नंबर 56, विकास मार्ग और आनंद विहार के जरिए यात्रा करें। वहीं टिकरी बॉर्डर को भी पूरी तरह से बंद किया गया है। इसके अलावा झारोदा कलां बॉर्डर, औचंदी बॉर्डर और हरवली पर भी यातायात रोक दिया गया।
किसान आंदोलन को लेकर मिया खलीफा ने फिर ट्वीट किया है। दरअसल मिया खलीफा ने अमेरिका एक्ट्रेस अमांडा सर्नी के एक ट्वीट को रिट्वीट किया है। दरअसल मिया खलीफा की तरह ही अमांडा सर्नी ने भी किसान आंदोलन का समर्थन किया था। ट्रोलर्स को जवाब देने के लिए अमांडा सर्नी ने ट्वीट कर कहा था, 'यह सिर्फ तंग करने के लिए है. मेरे कई सवाल हैं...मुझे कौन पैसे दे रहा है? मुझे कितना पैसा मिल रहा है? मैं अपने इनवॉयस कहां भेजूं? मुझे पैसे कब मिलेंगे? मैंने खूब ट्वीट किए हैं...क्या मुझे एक्स्ट्रा पैसे मिलेंगे?' अमांडा के इस ट्वीट पर मिया खलीफा ने रिप्लाई करते हुए लिखा है कि 'हम तब तक ट्वीट करना जारी रखेंगी जब तक हमें पैसे नहीं मिलते।'
हरियाणा के चरखी दादरी में राकेश टिकैत ने उत्तराखंड की तबाही को लेकर कहा, 'रिपोर्ट के मुताबिक वहां 50-60 लोग मारे जा चुके हैं। पानी बहुत तबाही मचाते हुए आ रहा है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में सब जगह अलर्ट कर दिया गया है...हम प्रशासन के साथ मिलकर हर संभव मदद करेंगे।'
टिकैत ने कहा कि विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहे किसानों के आंदोलन में देश भर के अधिक से अधिक किसान भाग लेंगे। हाल ही में दिल्ली में 20,000 ट्रैक्टर थे, अगला लक्ष्य इस संख्या को 40 लाख करना है। उन्होंने ट्रैक्टर मालिकों से अपने वाहनों को ''ट्रैक्टर क्रांति'' से जोड़ने का आह्वान किया। टिकैत ने कहा, "अपने ट्रैक्टर पर ''ट्रैक्टर क्रांति 2021, 26 जनवरी '' लिखिए. आप जहां भी जाएंगे, आपका सम्मान किया जाएगा।"
हरियाणा के बहादुरगढ़ में कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार से नाराज एक किसान ने फांसी लगा ली। किसान ने सेक्टर-9 बाईपास के पार्क में पेड़ से लटककर जान दे दी। किसान की पहचान जींद के सिंघवाल गांव के कर्मबीर के तौर पर हुई। मृतक कर्मबीर के पास से एक सुसाइड नोट मिला है। सुसाइड नोट पर लिखा है कि सरकार तारीख पर तारीख दे रही है। पता नहीं कब ये काले कानून रद्द होंगे। जब तक काले कानून रद्द नही होंगे। तब तक यहां से नहीं जाएंगे। उधर, पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल भिजवा दिया है। परिजनों के आने के बाद उनके बयान दर्ज होंगे।
सरकार द्वारा पारित किये गए तीनो कृषि कानून के विरोध में एक किसान ने रविवार को टिकरी बॉर्डर पर फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। आत्महत्या करने वाले किसान कर्मवीर सिंगवाल हरियाणा के जींद के रहने वाले थे। रविवार सुबह को उनका शव टिकरी बॉर्डर के पास के एक पेड़ से लटका मिला। शव के पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। जींद जिले के सिंहवाला गाँव के रहने वाले 50 वर्षीय कर्मवीर किसान आंदोलन में शामिल होने टिकरी बॉर्डर आये हुए थे। जहाँ कर्मवीर सिंगवाल ने कृषि कानूनों के विरोध में अपनी जान दे दी। सुसाइड नोट में कर्मवीर सिंगवाल ने लिखा है कि प्यारे किसान भाइयों ये मोदी सरकार हमें तारीख पर तारीख देती जा रही है। इसका कोई अंदाजा नहीं है कि ये काले कानून कब रद्द होंगे। जब तक ये काले कानून रद्द नहीं होंगे तब तक हम यहाँ से नहीं जाएंगे।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि केंद्र सरकार को किसान आंदोलन के समर्थन कर रहे विदेशी कलाकारों के जवाब में सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर को नहीं उतारना चाहिए था। उनकी प्रतिष्ठा को दांव पर नहीं लगाना चाहिए था। मनसे नेता राज ठाकरे ने कहा कि सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर भारत रत्न से सम्मानित हैं। साथ ही राज ठाकरे ने कहा कि सरकार को अपने अभियान के लिए अक्षय कुमार जैसे कलाकारों को आगे रखना चाहिए। इसके अलावा राज ठाकरे ने कहा कि अगर किसान आंदोलन पर ट्वीट करना हमारे आतंरिक मामलों में दखल करना था तो फिर "अबकी बार ट्रम्प सरकार क्या था"।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ दर्शनपाल ने चक्का जाम के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि गेंद अब सरकार के पाले में है। वे सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन केंद्र को एक नया प्रस्ताव लेकर आना चाहिए क्योंकि विवादास्पद कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का मौजूदा प्रस्ताव उन्हें स्वीकार नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि किसान संगठन तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि किसान आंदोलन के नाम पर जो रहा है, मैं उनको बताना चाहता हूँ कि आपके प्रति मेरी पूरी संवेदना है। अगर हम हनुमान होते तो छाती खोलकर दिखाते कि देखो हमारे ह्रदय में क्या है। हमारे अंदर क्या है, हमारे मन में क्या है। हम हनुमान होते तो उनको विश्वास दिलाना चाहते कि इस देश के किसानों के प्रति पूरे समर्पण भाव से, पूरे आत्मीय भाव से हम उनकी सेवा करने के लिए हमेशा तत्पर रहे हैं और आगे भी रहेंगे।
शनिवार को देशव्यापी चक्का जाम के बाद किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत ने उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं का करने का फैसला जल्दबाजी में लिया। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर राकेश टिकैत मीडिया में इसकी घोषणा करने से पहले संयुक्त किसान मोर्चा से इस बारे में बातचीत कर लेते तो अच्छा होता।