किसानों आंदोलन को स्पोर्ट्स जगत का समर्थन भी मिला है। सोमवार को कुछ और खिलाड़ियों और शख्सियतों ने अन्नदाताओं के समर्थन में अपने अवॉर्ड्स लौटाने की बात कही। खेल जगत से जुड़े कुछ लोग नए कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रपति को अपने पुरस्कार और सम्मान लौटाने के लिए रवाना हुए, पर उन्हें दिल्ली पुलिस ने बीच रास्ते में ही रोक दिया।
एशियाई खेलों के दो बार के स्वर्ण पदक विजेता और पूर्व पहलवान करतार सिंह की अगुआई में इन पंजाबी खिलाड़ियों ने एकजुटता दिखाते हुए ‘35 राष्ट्रीय खेल पुरस्कार’ लौटाने के लिए राष्ट्रपति भवन की ओर मार्च किया। सिंह ने इस बाबत पत्रकारों को बताया, “पंजाब के 30 खिलाड़ी और कुछ और लोग अपने अवॉर्ड्स लौटाना चाहते हैं।”
करतार के मुताबिक, ‘‘किसानों ने हमेशा हमारा साथ दिया है। हमें उस समय बुरा लगता है जब हमारे किसान भाईयों पर लाठीचार्ज किया जाता है, सड़कें बंद कर दी जाती हैं। किसान अपने अधिकारों के लिए कड़कड़ाती सर्दी में सड़कों पर बैठे हुए हैं। मैं किसान का बेटा हूं और पुलिस महानिरीक्षक होने के बावजूद अब भी खेती करता हूं।’’
उन्होंने पूछा, ‘‘मैं सहमत हूं कि कृषि कानूनों में बदलाव की जरूरत है लेकिन जब हमारे बच्चे खुश नहीं हैं तो सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए कि उन्हें खुशी दें… आखिर क्यों ये सरकार किसानों पर जबरन विवादास्पद कानून को स्वीकार करने पर जोर दे रही है?’’
बता दें कि वर्ष 1982 में अर्जुन पुरस्कार और 1987 में पद्म श्री से नवाजे गए करतार के साथ ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम के सदस्य पूर्व हॉकी खिलाड़ी गुरमेल सिंह और महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान राजबीर कौर आदि शामिल थे। गुरमेल को 2014 में ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित किया गया जबकि राजबीर को 1984 में अर्जुन पुरस्कार मिला।
इससे पहले, रविवार को दिल्ली पहुंचे खिलाड़ियों ने प्रेस क्लब आफ इंडिया से अपना मार्च शुरू किया लेकिन उन्हें पुलिस ने कृषि भवन के पास रोककर वापस भेज दिया, जबकि खेल रत्न पुरस्कार विजेता और मुक्केबाजी में भारत के पहले ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह ने भी किसानों के समर्थन में अपना पुरस्कार लौटाने की धमकी दी थी।
इसी बीच, पंजाबी लेखक और कवि सुरजीत पटर ने मीडिया से कहा- दिल्ली के बॉर्डर्स पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति केंद्र सरकार के रुख से मैं बुरी तरह आहत हूं। बार-बार की गई कोशिशों (बैठक के दौरान) के बावजूद भी कुछ नतीजा नहीं निकल पाया। ऐसे में मैंने किसानों के समर्थन में अपना पद्मश्री लौटाने का फैसला लिया है। (भाषा इनपुट्स के साथ)