पश्चिम विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद हुई हिंसा को लेकर बनाई गई फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव के बाद हुई हिंसा पूर्व नियोजित थी और साथ ही ममता सरकार को हिंसा रोकने में फेल बताया गया है। पांच सदस्यों वाली फैक्ट फाइंडिंग कमेटी सिविल सोसाइटी की तरफ से बनाई गई थी।

63 पेज की तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ममता सरकार पश्चिम बंगाल के लोगों के अधिकार संरक्षण में पूरी तरह से फेल रही। कमेटी के सदस्य रहे निसार अहमद ने कहा कि चुनाव परिणाम आने के बाद हुई हिंसा पूरी तरह से पूर्वनियोजित थी। हिंसा करने वालों ने इसकी योजना पहले ही बना ली थी कि किस व्यक्ति के ऊपर कितना हमला किया जाएगा। हिंसा करने वालों में स्थानीय लोग शामिल नहीं थे बल्कि बाहर से लोगों को लाया गया था। निसार अहमद ने कहा कि हो सकता है हमला करने वाले लोग बांग्लादेशी या रोहिंग्या रहे हों।

कमेटी के द्वारा सौंपी रिपोर्ट में पुलिस के ऊपर पर भी कई आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने आरोपियों के बदले शिकायत करने वालों के ऊपर ही केस दर्ज किया। हिंसा के कारण कई लोग अपना घर छोड़कर पड़ोसी राज्यों में चले गए। इतना ही नहीं किसी खास पार्टी का समर्थन करने वाले या उनसे संबंधित लोगों के आधार कार्ड और राशन कार्ड भी छीन लिए गए। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी दर्ज किया है कि कई जगहों पर देसी बम और पिस्तौल की अवैध फैक्ट्रियां भी थी।

कमेटी के द्वारा रिपोर्ट सौंपने के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के संदर्भ में कमेटी का गठन किया गया था। उसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। चुनाव के बाद 25 लोगों की हत्या हुई हैं। 15,000 हिंसा की घटनाएं हुई और 7,000 महिलाओं के ऊपर अत्याचार हुआ है। 16 ज़िलों में राजनीतिक हिंसा हुई। हिंसा के दौरान हुए नुकसान के कारण लोग डरकर दूसरे राज्यों की तरफ़ चले गए हैं। कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट को हम गृह मंत्रालय के द्वारा जांच करेंगे। मामले में जो भी कदम उठाने होंगे हम उठाएंगे।

बता दें कि पश्चिम बंगाल की सरकार फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को राज्य में आने से लगातार मना कर रही थी। पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी ने कोरोना का हवाला देते हुए राज्य में आने से मना किया था। लेकिन बाद में कमेटी ने सीआरपीएफ की मदद से पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और अपनी रिपोर्ट तैयार की।