पटरी के बगल में घर होने से रेल का शोर जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। लेकिन शुक्रवार शाम कानों में शोर नहीं चीख की आवाज आई। दिल दहला देनेवाली चीख। निर्जीव पड़ी देह को जोर से झकझोड़ते परिजन की शायद सांस वापस आ जाए। माता-पिता की लाश के सामने बच्चा इतनी जोर से रो रहा था, मानो उसे यकीन था कि उसकी चीख सुनकर मां-बाप उठ बैठेंगे। घटनास्थल पर पहुंचे स्थानीय लोगों के लिए उसका विवरण देना भी एक सदमे से गुजरने जैसा था।

पटरी के आस-पास घायलों की चीख इतनी भयावह थी कि मदद करने पहुंचे स्थानीय लोग सदमे में थे। कोई घायल पानी मांग रहा था तो कोई अपनों का नाम लेकर उठने की कोशिश कर रहा था। बचाव अभियान में शामिल एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि हर ओर घायलों और मारे गए लोगों के परिजनों की चीखें और कराह ही सुनाई दे रही थीं। उन्होंने कहा कि यह भयानक और दिल दहला देने वाला मंजर था। हादसे में बचे एक व्यक्ति ने बताया कि दुर्घटना के समय मैं सो रहा था। तेज आवाज और डिब्बे के उथल-पुथल होने पर मैं जगा। मैं देखा मेरे चारों ओर 10-15 लाशें पड़ी हैं। मैं किसी तरह डिब्बे से बाहर आया और देखा हर तरफ लोगों की लाश ही लाश हैं।

कोलकाता में कार्यरत रामनाथपुरम निवासी नागेंद्रन दुर्घटना की चपेट में आई शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार थे। नागेंद्रन शनिवार दोपहर चेन्नई हवाई अड्डे पर उतरे। उन्होंने कहा कि जैसे ही हादसा हुआ, मुझे लगा कि मैं मौत के मुंह में समा गया हूं। मैं कल कोरोमंडल एक्सप्रेस से कोलकाता से चेन्नई के लिए रवाना हुआ था। उन्होंने कहा कि कोरोमंडल ट्रेन के चालक ने मालगाड़ी देखकर ब्रेक लगाए, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में यात्रियों की जान बच गई।

उन्होंने कहा कि शयनयान एवं सामान्य श्रेणी के डिब्बे सबसे अधिक प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि मैं बी 1 डिब्बे (वातानुकूलित कोच) में था। बी1 से बी 4 डिब्बे अप्रभावित रहे। बी 5 डिब्बा पटरी से उतर गया। दुर्घटनास्थल पर सबसे पहले स्वयंसेवक पहुंचे और उन्होंने मदद की। चारों तरफ अंधेरा था। हमें कुछ भी स्पष्ट नहीं देख पा रहे थे। एसी डिब्बे में मौजूद हम सब लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ कि इतने सारे लोग मर गए और हम बच गए। चेन्नई हवाई अड्डे पर उतरी एक युवती (यात्री) ने मीडियाकर्मियों ने कहा कि हमें लगा कि ट्रेन पटरी से उतर गई है। रोशनी मद्धिम हो गई। चारों ओर धुआं फैला था। मुझे पक्का पता नहीं है कि कितनी ट्रेन हादसे में शामिल थीं। हम भयभीत थे। डिब्बे के अंदर यात्री सुरक्षित थे। कुछ को मामूली चोटें आईं। स्वयंसेवकों की मदद से बुजुर्गों को डिब्बे से निकाला गया।

चेन्नई के एक कालेज की छात्रा राजलक्ष्मी इंटर्नशिप के लिए कोलकाता गई थी। उसने हादसे को याद करते हुए कहा कि आकस्मिक टक्कर और पटरी उतरने का असर इतना अधिक था कि उसके डिब्बे में यात्री नीचे गिर गए और एक यात्री के नाक से खून बहने लगा। उसने कहा कि अनारक्षित डिब्बों में सफर कर रहे अनेक यात्री तमिलनाडु या केरल जा रहे प्रवासी श्रमिक जान पड़े। उसने कहा कि मैंने उनमें से कई को अपने परिजनों की मौत पर रोते-बिलखते देखा। तेनकाशी जिले के यात्री रमेश ने कहा कि यह हादसा विनाशकारी था। उन्होंने कहा कि अभी जितने लोगों की मौत का अंदाजा लगाया जा रहा है, मृतकों की संख्या उससे कहीं अधिक हो सकती है।