Hindu Rituals Courses: अयोध्या में राम मंदिर के खुलने से पहले उत्तर प्रदेश के छात्रों की नजर पुरोहित की नौकरी पर भी है। यही वजह की है कि यूपी के छात्र हिंदू अनुष्ठान के पाठ्यक्रमों में रुचि दिखा रहे हैं। ऐसे ही कुछ छात्रों ने इसको लेकर अपने विचार साझा किए। पिछले 10 साल शिवेश शास्त्री (30) ने कथावाचक के रूप में देश भर में यात्रा की और भागवत कथा का प्रचार किया। इस साल उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर में पुरोहित (पुजारी) के रूप में काम पाने के उद्देश्य से संस्कृत विभाग के तहत कर्मकांड में स्नातक डिप्लोमा हासिल करने के लिए प्रयागराज में नेहरू ग्राम भारती डीम्ड विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया है। कर्मकांड के पाठ्यक्रम में हिंदू अनुष्ठानों के संचालन की प्रक्रियाएं भी शामिल हैं।

हाल के वर्षों में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में प्रमुख तीर्थस्थलों और मंदिरों के पुनरुद्धार के साथ संस्कृत और हिंदू अनुष्ठानों से संबंधित अध्ययन में रुचि बढ़ी है, क्योंकि कई छात्रों के लिए नौकरी के नए अवसर खुल रहे हैं। ऐसे में शिवेश शास्त्री का मानना है कि जिस तरह से सरकार यूपी में धार्मिक स्थलों का विकास कर रही है, उससे संस्कृत के छात्रों के लिए रोजगार के नए अवसर खुल रहे हैं।

शिवेश शास्त्री इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अब तक, हमारे लिए एकमात्र सरकारी नौकरी सेना में धर्म गुरु (धार्मिक शिक्षक) का पद था, लेकिन अब हमें उम्मीद है कि राम मंदिर जैसे आगामी मंदिर भी प्रशिक्षित युवाओं को नियुक्त करेंगे, जिनके पास कर्मकांड को लेकर डिप्लोमा है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर में पुरोहित की नौकरी के लिए उन्होंने और उनके साथ दोस्तों ने हिंदू अनुष्ठान से संबंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया है।

नेहरू ग्राम भारती में कर्मकांड पाठ्यक्रम 2012 में केवल 20 सीटों के साथ शुरू किया गया था। नेहरू ग्राम भारती में संस्कृत विभाग के प्रमुख देव नारायण पाठक के अनुसार, आवेदनों में वृद्धि के कारण पिछले शैक्षणिक सत्र में सीटों की संख्या दोगुनी होकर 120 हो गई थी। 2023-24 सत्र के लिए अब तक 180 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। पिछले शैक्षणिक सत्र में 165 आवेदन और 2021-22 सत्र में 140 आवेदन प्राप्त हुए।

कर्मकांड सीखने वाले प्रेम त्रिपाठी क्या मानना है?

औरैया जिले के एक स्कूल से इस साल विज्ञान संकाय में 12वीं की पढ़ाई पूरी करने वाले प्रेम त्रिपाठी (18) ने संस्कृत के साथ-साथ कर्मकांड सीखने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में ओरिएंटल स्टडीज में प्रवेश लिया है। प्रेम त्रिपाठी का कहना है कि वो संस्कृत में शोध करने में रुचि रखते हैं, लेकिन अगर वह इस लक्ष्य को हासिल करने में असमर्थ रहे तो वह अयोध्या के राम मंदिर जैसे प्रमुख मंदिर में पुरोहित के रूप में काम करेंगे। त्रिपाठी के सहपाठी, बस्ती जिले के 17 वर्षीय संपूर्णानंद पांडे ने कहा कि उन्होंने पाठ्यक्रम में दाखिला लेने का फैसला किया है ताकि वह धर्म गुरु के रूप में सेना में शामिल हो सकें, अगर वो सेना में धर्म गुरु नहीं बन पाचे तो पुरोहित तो बन सकें।

बता दें, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वेद विभाग ने 2010 में केवल 10 सीटों के साथ कर्मकांड में डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया था। उस समय उसे प्रवेश के लिए मात्र नौ आवेदन प्राप्त हुए थे। वर्तमान में विभाग ने सीटों की संख्या बढ़ाकर 35 कर दी है। पिछले तीन वर्षों से इसे पुरोहित, धर्म गुरु बनने और कर्मकांड के बारे में सीखने में रुचि रखने वाले छात्रों से 100 से अधिक आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। इस रुचि को देखते हुए विभाग ने विश्वविद्यालय प्रशासन से पाठ्यक्रम में और सीटें बढ़ाने का अनुरोध किया है।

पुरोहित के रूप में काम करने वालों के लिए अवसरों की बढ़ती संख्या के बीच इन पाठ्यक्रमों में रुचि बढ़ी है। उदाहरण के तौर पर देखें तो दिसंबर 2021 में वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले एक परियोजना जो काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा के किनारे विभिन्न घाटों से जोड़ती है, वाराणसी में पर्यटकों की वार्षिक संख्या 1 करोड़ थी। यूपी सरकार के मुताबिक, तब से सालाना पर्यटकों की संख्या बढ़कर 12 करोड़ हो गई है।

काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी जानिए क्या कहते हैं?

काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने कहा कि इस उम्मीद के तहत लगभग 200 नए पुजारियों ने 2021 में स्वयंसेवकों के रूप में गलियारे के साथ काम करना शुरू कर दिया। वे गर्भगृह के बाहर भक्तों के लिए अनुष्ठान करते हैं। एक अन्य ट्रस्ट पदाधिकारी ने कहा कि हालांकि इन स्वयंसेवकों को वेतन नहीं दिया जाता है, लेकिन उन्हें विभिन्न अनुष्ठानों को करने के लिए दक्षिणा मिलती है और उनमें से कुछ वेतन पाने वाले पुरोहितों से अधिक कमाते हैं। पदाधिकारी ने बताया कि इनमें से अधिकतर स्वयंसेवक ऐसे युवा हैं जो अंग्रेजी बोलते हैं और कर्मकांड में प्रशिक्षित हैं।

नेहरू ग्राम भारती के पाठक ने कहा कि वहां प्रवेश लेने वाले कई छात्रों ने उन्हें बताया है कि उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर या अन्य प्रमुख मंदिरों में नौकरी पाने के लिए ऐसा किया था। उन्होंने कहा कि छात्रों को अयोध्या के विभिन्न हिस्सों में भी काम मिल सकता है। जहां अगले साल राम मंदिर खुलने के बाद भक्तों की संख्या बढ़ने वाली है। पाठक के अनुसार, पिछले साल आवेदनों में वृद्धि के बाद कर्मकांड डिप्लोमा पाठ्यक्रम में सीटों की संख्या दोगुनी होकर 120 हो गई थी।

लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत स्नातक पाठ्यक्रम में कर्मकांड को 2020-21 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम के रूप में पेश किया गया था। इसके तहत छात्र दूसरे सेमेस्टर में कर्मकांड सीखते हैं और चौथे सेमेस्टर में अर्चक (पुजारी) बनने का प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।

लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत में ओरिएंटल स्टडीज के कोऑर्डिनेटर प्रेरणा माथुर ने कहा, ‘पहले उपलब्ध सीटों पर प्रवेश की संख्या बहुत कम थी। पिछले साल केवल 12 छात्रों ने प्रवेश के लिए आवेदन किया था। हालांकि, इस साल अब तक 20 आवेदन प्राप्त हुए हैं और प्रवेश प्रक्रिया अभी भी चल रही है। माथुर ने कहा कि ज्यादातर छात्र सेना में धर्म गुरु पद पाने के लिए पाठ्यक्रम में शामिल होते हैं, लेकिन कई छात्रों ने अब लखनऊ और कानपुर के प्रमुख मंदिरों में पुजारी के रूप में काम करना शुरू कर दिया है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कमेटी गठित करने की बना रहा योजना

इस बीच अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र द्वारा गठित ट्रस्ट श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र नए पुजारियों के लिए पात्रता मानदंड तय करने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए एक समिति गठित करने की योजना बना रहा है। ट्रस्ट के एक सदस्य ने कहा कि नए पुजारियों ने यदि कर्मकांड का कोई कोर्स किया है तो समिति को उन्हें केवल थोड़ा प्रशिक्षित करना होगा। चूंकि दुनिया भर से और विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों से भक्त यहां आएंगे, इसलिए हमें प्रशिक्षित पुजारियों की आवश्यकता होगी, जो सभी प्रकार के लोगों के साथ बातचीत कर सकें। सदस्य ने कहा कि जब राम मंदिर खुलेगा, तो हनुमान गढ़ी और शहर के अन्य मंदिरों में भक्तों की भीड़ भी बढ़ेगी और अधिक पुजारियों की आवश्यकता होगी।

अधिकारियों के मुताबिक, इन परियोजनाओं से पुजारियों की मांग और बढ़ेगी। वहीं धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में अन्य परियोजनाएं भी चल रही हैं। मिर्ज़ापुर में विंध्याचल मंदिर के आसपास बनाया गया विंध्य कॉरिडोर और बरेली में नाथ नगरी कॉरिडोर इसके दो प्रमुख उदाहरण हैं।
इसके अलावा, महाकुंभ 2025 से पहले, जिसके लिए रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्रियों के प्रयागराज पहुंचने की उम्मीद है, यूपी सरकार एक गलियारा विकसित करने और कई मंदिरों का पुनरुद्धार करने की योजना बना रही है।