2जी स्कैम फिर से खुलने जा रहा है। सीबीआई और ईडी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फिर से सुनवाई करने का मन बनाया है। एजेंसियां पांच साल से हाईकोर्ट से गुहार लगा रही हैं कि यूपीए सरकार के टेलीकॉम मिनिस्टर ए राजा समेत बाकी आरोपियों को छोड़ने का फैसला गलत था। अब तक छह जज एजेंसी की अपील पर सुनवाई शुरू कर चुके हैं। लेकिन किसी न किसी कारण से ये बंद करनी पड़ीं। अब 22-23 मई को सुनवाई होगी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई-ईडी के साथ टेलीकॉम मिनिस्टर रहे ए राजा और मामले के अन्य आरोपियों से 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में पक्ष रखने को कहा है। सीबीआई के वकील ने अदालत से मामले को जल्द से जल्द लिस्ट करने का आग्रह किया था। सीबीआई के वकील ने हाईकोर्ट से कहा कि मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है। रोजाना सुनवाई करने के लिए दिन में कोई भी समय कोर्ट निर्धारित करे।

पांच पेज से ज्यादा का जवाब दाखिल नहीं करेगा कोई भी पक्ष

सीबीआई ने हालांकि पहले अपील करने की अनुमति के मुद्दे पर अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं लेकिन जजों के तब्दील होने के कारण मामले पर उसे नए सिरे से बहस करनी होगी। सीबीआई ने लीव टू अपील के जरिये दरखास्त लगाई थी। इसमें अदालत किसी फैसले को चुनौती देने के लिए एक पक्ष को अनुमति देती है। सीबीआई-ईडी की अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि सभी पक्ष संक्षिप्त जवाब दाखिल करेंगे। ये पांच पेज से अधिक नहीं होना चाहिए। सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ईडी की अपील सुनेगा।

स्पेशल कोर्ट ने 2017 में बरी किया था सभी आरोपियों को, 17 हजार पेज का था फैसला

एक विशेष अदालत ने दिसंबर, 2017 को टेलीकॉम मिनिस्टर रहे ए राजा समेत द्रमुक सांसद कनिमोई और अन्य को सीबीआई और ईडी के मामलों से बरी कर दिया था। स्पेशल कोर्ट ने 17 हजार पेज के फैसले में सभी को बरी किया था। मामले में 22 हजार पेजों में गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं।

ईडी ने 2018 में विशेष अदालत के फैसले को दी थी चुनौती, 1 दिन बाद सीबीआई पहुंची थी हाईकोर्ट

ईडी ने विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए मार्च 2018 में हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। इसके एक दिन बाद सीबीआई ने भी अपने मामले में आरोपियों की रिहाई को अदालत में चुनौती दी थी। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा से पहले जस्टिस बृजेश सेठी ने मामले की रोजाना सुनवाई की थी। वो जो 30 नवंबर को रिटायर हो गए थे। समय की कमी के कारण 23 नवंबर को उन्होंने अपने पास से मामले की सुनवाई को हटा दिया था।