इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने चुनाव आयोग को सौंप दिया है। ये सार्वजनिक भी हो गया है। ऐसी कई कंपनियां हैं, जिसने कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों को चंदा दिया है। कांग्रेस ने अप्रैल 2019 से कुल 1,422 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड हासिल किए हैं।

मेघा ग्रुप ने कांग्रेस को भी दिया चंदा

कांग्रेस को सबसे अधिक चंदा मेघा ग्रुप की वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने दिया है। इसने कांग्रेस को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से 110 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। इसी समूह की मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने बीजेपी को सबसे अधिक 529 करोड़ रुपये के साथ भाजपा को सबसे अधिक चंदा दिया है। मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने 1,192 करोड़ रुपये का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा था।

वेदांता लिमिटेड ने भी कांग्रेस को 100 करोड़ से अधिक का चंदा दिया है। वेदांता ने 104 करोड़ रुपये का चंदा कांग्रेस को दिया है। जबकि स्टेनलेस स्टील का कारोबार करने वाली एमकेजे एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने कांग्रेस को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 91.6 करोड़ का चंदा दिया है। मदनलाल और केवेंटर समूह के नाम से मशहूर इस ग्रुप की चार कंपनियां कोलकाता में स्थित हैं। समूह के मुख्य प्रमोटर महेंद्र कुमार जालान हैं।

कांग्रेस को इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में यशोदा हॉस्पिटल ने 64 करोड़ रुपये दिए हैं वहीं अवीस ट्रेडिंग फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने 53 करोड़ रुपये, ‘लॉटरी किंग’ सैंटियागो मार्टिन की फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज ने 50 करोड़ रुपये, सासमल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने 39 करोड़ रुपये, ऋत्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने 30 करोड़ रुपये, एसईपीसी पावर ने 30 करोड़ रुपये दिए हैं।

कांग्रेस को चंदा देने वाली दो बड़ी कंपनियां पश्चिम बंगाल से हैं, जहां पार्टी बहुत मजबूत नहीं है। अवीस ट्रेडिंग फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड और ससमल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने कांग्रेस को चंदा दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असवैंधानिक करार दिया

15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड को असवैंधानिक करार दिया था। इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने स्टेट बैंक को आदेश दिया कि अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक कितने इलेक्टोरल बॉन्ड दिए गए, किन राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड से पैसा मिला, सारी जानकारी चुनाव आयोग को दे। कोर्ट के आदेश के बाद 12 मार्च को एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड की जानकारी आयोग को सौंपी थी।