इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ा बयान दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें डर है कि पुरानी प्रक्रिया वापस आने से काला धन वापस आ जाएगा। उन्होंने कहा कि राजनीति में काला धन को खत्म करने की दिशा में एक शुरुआत थी।
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए अमित शाह ने कहा, ”यह मेरी व्यक्तिगत राय है कि इसे खत्म करने के बजाय इसमें सुधार किया जाना चाहिए था। लेकिन मेरी राय बिल्कुल मायने नहीं रखती और मैं देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं। भारतीय राजनीति में काले धन के प्रभुत्व को खत्म करने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड लाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी को मानना होगा। मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। मैं सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले पर टिप्पणी नहीं करता। मैं किसी भी मंच पर किसी भी व्यक्ति से इस बात पर बहस करने को तैयार हूं कि इलेक्टोरल बॉन्ड भारतीय राजनीति में काले धन को खत्म करने के लिए लाया गया था।”
अमित शाह ने कहा, “कृपया मुझे बताएं कि चुनावी बॉन्ड से पहले राजनीति में चंदा कैसे आया। यह नकदी के माध्यम से आया था। यह चुनावी बॉन्ड में कैसे आया? अपनी कंपनी का चेक आरबीआई को दे दीजिए, बॉन्ड मिल जाएंगे। यहां प्राइवेसी का सवाल उठाया गया। जब पैसा नकद आया तो कौन सा नाम सामने आया? बताओ आज तक कोई नाम सामने आया क्या? कभी कोई नहीं आया।”
अमित शाह ने बीजेपी पर लग रहे आरोपों को लेकर कहा, “एक धारणा को बढ़ावा दिया जा रहा है कि भाजपा को चुनावी बॉन्ड से बहुत फायदा हुआ है क्योंकि वह सत्ता में है। राहुल गांधी ने बयान दिया है कि चुनावी बॉन्ड दुनिया में सबसे बड़ी उगाही (जबरन वसूली) का स्रोत हैं। मुझे नहीं पता कि उसके लिए यह सब कौन लिखता है। मैं देश के सामने स्थिति स्पष्ट करना चाहता हूं। भाजपा को लगभग 6000 करोड़ रुपये के बॉन्ड मिले हैं। सभी बॉन्ड की कुल कीमत 20,000 करोड़ रुपये के करीब है। तो 14000 करोड़ रुपये के बॉन्ड कहां गए? टीएमसी को 1600 करोड़ रुपये के बॉन्ड मिले। कांग्रेस को 1400 करोड़ रुपये मिले। बीआरएस को 1200 करोड़, बीजेडी को 775 करोड़ रुपये और डीएमके को 639 करोड़ रुपये मिले। अब 13 राज्यों में सत्ता, 303 (लोकसभा) सांसदों और 11 करोड़ सदस्यों के साथ अगर हम अन्य दलों से तुलना करें तो कांग्रेस के पास वर्तमान में 35 (लोकसभा) सांसद हैं। यदि उनके पास 300 होते तो क्या होता? अगर हम ताकत का अनुमान लगाएं तो टीएमसी के पास 20,000 करोड़ रुपये, बीआरएस के पास 40,000 करोड़ रुपये और कांग्रेस के पास 9000 करोड़ रुपये होंगे। 303 सांसदों के साथ हमारे पास 6000 करोड़ रुपये के बॉन्ड हैं और 242 सांसदों वाली पार्टियों के पास 14000 करोड़ रुपये के बॉन्ड हैं। तो फिर हंगामा किस बात का है? मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इसका पूरा विवरण सामने आने पर वे आपका सामना नहीं कर पाएंगे।”
सबसे बड़े कॉर्पोरेट घरानों का नाम बॉन्ड में क्यों नहीं आया? इस सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा, “तो क्या आपको लगता है कि उन्होंने आजादी के बाद से कभी दान नहीं दिया है? मैं पूछना चाहता हूं कि इसका विवरण कहां है? कोई नाम सामने नहीं आया। कम से कम बॉन्ड के कारण ही आज हमारे पास नाम हैं। ये लोग किस गोपनीयता की बात कर रहे हैं? उन्होंने करोड़ों रुपए नकद लिए और 12 लाख करोड़ रुपए का घोटाला किया। वे जेल जा रहे हैं और हमसे हिसाब मांग रहे हैं? हम काले धन को ख़त्म करने के लिए बॉन्ड लाए। मैं पूछना चाहता हूं कि बॉन्ड आने से पहले खर्च कहां से होता था? क्या यह काला धन था या खातों से आया धन? बॉन्ड का पैसा काला धन नहीं है, यह चुनावी चंदे के रूप में दिए गए धन के रूप में बैलेंस शीट में दिखता है।”
अमित शाह ने कहा, “गोपनीयता का जिक्र इसलिए किया गया क्योंकि उन्हें डर था कि जब हम सत्ता में थे तो अगर उन्होंने कांग्रेस को दान दिया, तो हम उन्हें परेशान करेंगे। उन्हें डर था कि अगर उन्होंने हमें चंदा दिया तो कांग्रेस उन राज्यों में उन्हें परेशान करेगी जहां वह सत्ता में है। किसी पार्टी को बॉन्ड से कितना मिला यह उसकी बैलेंस शीट में दिखता है, और किसी कंपनी ने क्या दिया यह भी उसकी बैलेंस शीट में दिखता है। तो गोपनीयता कहां है? जब दान नकद में लिया जाता है तो यह गोपनीयता होती है। कांग्रेस के लोगों को गोपनीयता की कोई चिंता नहीं है जब वे नकद में चंदा लेते हैं तो 100 रुपये पार्टी को देते हैं और 100 रुपये अपने पास रख लेते हैं।”