उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव के नतीजों से ऐन पहले एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि पेट्रोल और डीजल के दाम सात मार्च या फिर 10 मार्च के बाद बढ़ा दिए जाएंगे। सरकार इसके पीछे यूक्रेन विवाद का हवाला दे देगी, क्योंकि उनके लोग तो लंबी-लंबी बातें छोड़ते हैं। एक चुनावी रैली में उन्होंने इसी मसले पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के भक्तों से सवाल दागा कि क्या उनकी गाड़ी में पेट्रोल मोदी डला रहे हैं?
ओवैसी के बयान के मुताबिक, “पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। एक बात याद रखना कि सात तारीख की रात में या फिर 10 मार्च की सुबह आप देखेंगे कि पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि होगी। ये कीमतों में इजाफा कर देंगे। बोलेंगे कि यूक्रेन में ऐसा हुआ…कुछ भी लंबी-लंबी छोड़ देते हैं। बहाना बना देते हैं कि ऐसा हुआ। पर बेचारे बीजेपी भक्त कहेंगे कि “नहीं, मोदी जी ने सही किया”। अबे तेरी गाड़ी में पेट्रोल क्या मोदी डला रहा है या गरीब अपने पैसे से डला रहा है?” देखें, पूरा वीडियोः
इस बीच, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पांच राज्यों में विस चुनाव के दौरान पेट्रोल-डीजल के दाम न बढ़ने को लेकर केंद्र पर तंज कसा। शनिवार को उन्होंने कहा कि ‘‘लोगों को अपनी गाड़ी का टैंक फुल करवा लेना चाहिए’’ क्योंकि मोदी सरकार का ‘‘चुनावी ऑफर’’ खत्म होने जा रहा है।
हालांकि, कुछ रोज पहले केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक चुनावी जन सभा में संकेत दे दिए थे कि आगे पेट्रोल और डीजल के दामों पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा था, “रूस और यूक्रेन की लड़ाई अगर आगे बढ़ जाती है, तब संकट और गहरा होगा। मैं पहले ही बता दे रहा हूं कि संकट और गहरा जाएगा। तेल-गैस…अधिकांश देशों को रूस से जाता है।”
बकौल सिंह, “अमेरिका ने भी उसके ऊपर बहुत सारे प्रतिबंध लगा दिए हैं। ये सब बड़े-बड़े देश हैं, स्वाभाविक है कि इनकी अर्थव्यवस्था को अगर कोई प्रभाव पड़ता है, तब उसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ता है। भारत उससे अछूता नहीं रहता है।”
उधर, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि बीते दो महीनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़ने से सरकारी स्वामित्व वाले खुदरा तेल विक्रेताओं को लागत वसूली के लिए 16 मार्च 2022 या उससे पहले ईंधन की कीमतों में 12.1 प्रति लीटर की वृद्धि करनी होगी। वहीं, तेल कंपनियों के मार्जिन को भी जोड़ लें, तो 15.1 रुपये प्रति लीटर की मूल्य वृद्धि करने की आवश्यकता होगी।’’
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत गुरुवार को 120 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई थी, जो बीते नौ वर्षों में सर्वाधिक है। हालांकि, शुक्रवार को इसकी कीमत थोड़ी घटकर 111 डॉलर प्रति बैरल पर आई। बता दें कि कच्चे तेल की कीमत में उछाल को रूस-यूक्रेन युद्ध से जोड़कर देखा जा रहा है।