चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लोग भले ही राजनीति में बड़ा किरदार मानते हों। उन्हें “सियासी चाणक्य” तक का टैग देते हों, मगर उनका कहना है कि उनके जैसे लोग सिर्फ मार्जिन (वोट) पर सियासी दलों की मदद कर सकते हैं।
अंग्रेजी खबरिया चैनल “इंडिया टुडे” के वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई को दिए इंटरव्यू में कुछ समय पहले उन्होंने साफ कहा था कि वह चुनाव जितवाते नहीं हैं। दरअसल, सरदेसाई ने पूछा था, “पीके क्या कर रहे हैं? आपको लगता है कि आपकी जैसी सियासी रणनीति किसी दल को चुनाव जितवाती है? जवाब आया था- पार्टी अपने खुद के बल पर हार या जीत हासिल करती है। यह भी मायने रखता है कि पर्टी का नेतृत्व कौन कर रहा है और पार्टी ने क्या काम किया है…मेरे जैसे लोग बस मार्जिन दिलाने के लिए दलों की सहायता कर सकते हैं।
पीके के उत्तर पर उत्सुकता से राजदीप बोले थे कि आप एक हार को जीत में तब्दील नहीं कर सकते? किशोर ने इस पर दिलचस्प बात कही। बोले, “आप मिट्टी के बिना घड़ा नहीं बना सकते, फिर भले ही आप कितने अच्छे कलाकार या कुम्हार हों। उसी तरह बुनियादी स्तर पर जिन चीज़ों की आवश्यकता है उनके बिना न तो घड़ा बन सकता है, न ही इलेक्शन जीता जा सकता है।”
बता दें कि किशोर एक सफल राजनीतिक रणनीतिकार माने जाते हैं, जिन्होंने 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाई थी। इसके बाद वह जेडीयू के साथ भी रहे, पर राजनेता के तौर पर सफल नहीं हो पाए। यह बात वह खुद भी स्वीकार चुके हैं कि पॉलिटिक्स में वह फेल रहे। हालांकि, उन्होंने फिर से मजबूत होकर सियासत में वापसी की बात भी कही थी।
किशोर ने पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए रणनीति बनाई थी, जबकि प.बंगाल के चुनाव में ममता बनर्जी की टीएमसी के लिए काम किया था। इसी तरह तमिलनाडु में डीएमके के लिए रणनीति तैयार की थी और स्टालिन को मुख्यमंत्री बनाने में एक अहम भूमिका निभाई। सियासी जानकारों की मानें तो मौजूदा समय में वह मोदी-शाह के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर कुछ बड़ा करने की योजना में है। इसी सिलसिले में उनकी हाल-फिलहाल के दिनों में एनसीपी प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल से मुलाकात हुई थी।