चुनाव आयोग ने आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर सीमा सुरक्षा बल के रिटायर्ड डीजी केके शर्मा को पश्चिम बंगाल और झारखंड का ‘विशेष केन्द्रीय पुलिस पर्यवेक्षक’ नियुक्त किया है। हालांकि चुनाव आयोग के इस फैसले पर विवाद हो सकता है और खासकर पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पार्टी इस पर आपत्ति जता सकती है। दरअसल बीएसएफ के रिटायर्ड डीजी केके शर्मा बीते साल एक विवाद में आ चुके हैं। बता दें कि बीते साल फरवरी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एक एनजीओ सीमांता चेतना मंच ने कोलकाता में एक सम्मेलन का आयोजन किया था। इस दो दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन तत्कालीनी बीएसएफ डीजी केके शर्मा अपनी यूनिफॉर्म में शामिल हुए थे।

डीजी केके शर्मा के यूनिफॉर्म में आरएसएस समर्थित एनजीओ के कार्यक्रम में शामिल होने पर टीएमसी ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। टीएमसी ने इस मुद्दे को गृह मंत्रालय के सामने ले जाने की धमकी भी दी थी। अब मंगलवार को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की एक प्रेस रिलीज में बताया गया है कि ‘चुनाव आयोग ने केके शर्मा को पश्चिम बंगाल और झारखंड के लिए विशेष केन्द्रीय पुलिस पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। ये पर्यवेक्षक राज्यों में केन्द्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती और सुरक्षा से जुड़े अन्य मुद्दों की निगरानी करेंगे।’ उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में बीते साल भी पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा देखने को मिली थी। भाजपा ने राज्य में आम चुनावों के दौरान केन्द्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती की मांग की थी।

बता दें कि केके शर्मा 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और फिलहाल रिटायर हो चुके हैं। जब द इंडियन एक्सप्रेस ने चुनाव आयोग द्वारा केके शर्मा को नियुक्त किए जाने के मुद्दे पर टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन की प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे को एक बार फिर गृह मंत्रालय के सामने उठाएंगे। वहीं भाजपा नेताओं ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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