प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को दिल्ली-एनसीआर में कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा की, जिन पर कथित तौर पर अमेरिकी नागरिकों से 130 करोड़ रुपये की ठगी करने का आरोप है। आरोपियों पर यह ठगी एक अवैध कॉल सेंटर के जरिए करने का आरोप है। ईडी ने बताया कि इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर शुरू की गई थी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने आपस में मिलकर एक आपराधिक साजिश रची और नवंबर 2022 से अप्रैल 2024 तक मुख्य रूप से अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाकर तकनीकी धोखाधड़ी की।

ईडी प्रवक्ता ने कहा, “आरोपी कथित तौर पर साइबर घोटाले के जरिए अर्जित अवैध धन से आलीशान घरों में रहते हैं। उन्होंने अपराध की आय से 100 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की कई संपत्तियां भी खरीदी हैं।” 20 अगस्त को ईडी ने दिल्ली और गुरुग्राम में आरोपियों से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की। प्रवक्ता ने बताया कि आरोपी अर्जुन गुलाटी, दिव्यांश गोयल और अभिनव कालरा ने तकनीकी सहायता प्रदान करने की आड़ में नोएडा और गुरुग्राम में अवैध कॉल सेंटर चलाया।

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इन कॉल सेंटरों के जरिए अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाया गया और उनके बैंक खातों तक अनधिकृत पहुंच प्राप्त की गई। आरोपी 200 से अधिक खातों से जुड़े लेन-देन के जाल के माध्यम से धन को अपने भारतीय खातों में स्थानांतरित करते थे, कई बार इसे विदेशी स्थानों के माध्यम से ट्रांसफर करके भेजा जाता था।

जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने नवंबर 2022 से अप्रैल 2024 के बीच लगभग 1.5 करोड़ (यानी 15 मिलियन) अमेरिकी डॉलर की ठगी की। तलाशी के दौरान, आरोपियों से जुड़े 30 बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए। इसके अलावा, आठ लग्जरी कारें और कई महंगी लग्जरी घड़ियां जब्त की गईं। प्रवक्ता ने कहा कि आरोपी अपने अवैध धन से खरीदे गए आलीशान घरों में रहते हैं और 100 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की कई संपत्तियों के मालिक हैं।

ईडी की यह कार्रवाई दिल्ली-एनसीआर में तकनीकी धोखाधड़ी और साइबर अपराध के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इस मामले ने एक बार फिर उजागर कर दिया कि कैसे अवैध कॉल सेंटरों के जरिए विदेशी नागरिकों को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर ठगी की जाती है और अपराध की आय का इस्तेमाल आलीशान जीवन शैली और संपत्ति खरीदने में किया जाता है।