भयानक प्रदूषण की स्थिति से निपटने के लिए कोई कार्ययोजना नहीं होने पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उसे कहा, ‘क्या आप तब तक इंतजार करना चाहते हैं, जब लोग मरना शुरू कर दें…….लोग हांफ रहे हैं।’ शीर्ष अदालत ने केंद्र से बिगड़ती वायु गुणवत्ता के स्तर से निपटने के लिए समयबद्ध उपाय करने को कहा। उधर दिल्ली हाई कोर्ट ने पंजाब में पराली जलाने के चलन को नरसंहार की संज्ञा दी। प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सीपीसीबी की खिचाई की। न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की पीठ ने अदालत में मौजूद सीपीसीबी के अध्यक्ष एसपी सिंह परिहार से कहा, ‘आपके पास योजना होनी चाहिए। आप वायु गुणवत्ता पर निगरानी के लिए स्टेशनों का प्रसार कैसे करेंगे जिससे तस्वीर साफ होगी? आपको एक योजना तैयार करनी होगी और हमें बताना चाहिए।’
पीठ ने कुछ दिशानिर्देश जारी किए जिनमें 19 नवंबर को सीपीसीबी अध्यक्ष के साथ सभी पक्षों की बैठक शामिल है।

 
उधर दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति बदर दुर्रेज अहमद और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की पीठ ने बढ़ते प्रदूषण पर कहा, ‘यह हमें मार रहा है।’इस गंभीर हालात से छह करोड़ से ज्यादा जीवन वर्ष बर्बाद हो रहे हैं या यूं कहें तो इससे दस लाख मौतें होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्ययन का जिक्र करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि भारत के कई शहरों में, खासतौर पर दिल्ली में हवा मानक स्तर से ज्यादा है। दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 हमारे देश के हैं। भारत में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण दिल्ली में है। दिल्ली में सांस के रोगियों की संख्या और इससे मरने के मामले सर्वाधिक हैं। अदालत ने कहा कि पंजाब के मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी करने से पहले हम उनसे एक हलफनामा चाहते हैं, जिसमें संकेत दिया गया हो कि हमारे निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया और उन्हें ऐसा करने से किसने रोका।