जाने-माने वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण से जुड़े अवमानना मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अवमानना के लिए दोषी ठहराए गए भूषण को माफी दी जानी चाहिए, जबकि कोर्ट बोला- प्रशांत भूषण को बोलने की स्वतंत्रता है, लेकिन उनका कहना है कि वह अवमानना के लिए माफी नहीं मांगेंगे। इंसान को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए। हमने भूषण को समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह माफी नहीं मांगेंगे।

आगे अटॉर्नी जनरल ने न्यायालय से कहा, “अदालत को भूषण को चेतावनी देनी चाहिए और दयापूर्ण रुख अपनाना चाहिए।” वहीं, कोर्ट ने कहा, अदालत केवल अपने आदेश के जरिए ही अपनी बात रख सकती है। अपने हलफनामे में भी प्रशांत भूषण ने अपमानजनक टिप्पणी की है। बेंच ने इसके बाद अटॉर्नी जनरल से पूछा- प्रशांत भूषण ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ध्वस्त हो गया है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है?

जवाब में अटॉर्नी जनरल ने टॉप कोर्ट से कहा- प्रशांत भूषण खेद व्यक्त करेंगे। फिर कोर्ट के खिलाफ अपने अपमानजनक ट्वीट को लेकर खेद न प्रकट करने के अपने रुख पर दोबारा विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को 30 मिनट दिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने टॉप कोर्ट से कहा- प्रशांत भूषण को दोषी करार देने वाले फैसले को वापस लिया जाना चाहिए। उन्हें किसी प्रकार की सजा नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने भूषण के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन से अवमानना मामले में सजा को लेकर विचार मांगे। धवन ने कोर्ट से कहा- एजी ने सुझाव दिया कि प्रशांत भूषण को दंड दिया जाए, लेकिन यह काफी ज्यादा होगा।

धवन ने आगे कोर्ट से कहा, “भूषण को शहीद न बनाएं। उन्होंने कोई कत्ल या चोरी नहीं की है।” वहीं, न्यायालय ने भूषण के माफी मांगने से इनकार करने पर कहा- माफी मांगने में क्या गलत है, क्या यह बहुत बुरा शब्द है?