इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए मशहूर Indian Institute of Technology-खड़गपुर (पश्चिम बंगाल में) ने फरमान जारी किया है, जिसके तहत फैकल्टी से कहा गया है कि वे ऐसी कोई बात नहीं कहेंगे जिससे संस्थान को शर्मिंदा न होने पड़े और केंद्र या फिर राज्य सरकार के साथ उसके संबंध खराब हों।
शुक्रवार को जारी इस अधिसूचना में आईआईटी खड़गपुर प्रशासन ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि कोई भी कर्मचारी न तो मीडिया को चिट्ठी लिखेगा और न ही कोई पत्र जारी करेगा। यहां तक कि वे कॉलेज प्रशासन को बताए बगैर पहचान छिपाकर भी किसी रेडियो प्रसारण में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
बकौल संस्थान, “सिर्फ वैज्ञानिक लेख ही जर्नल्स में प्रकाशित कराए जा सकते हैं।” हालांकि, संस्थान ने इसके लिए भी फैकल्टी और शोधार्थियों को साफ कर दिया है कि अगर वे लेख के साथ अपने नाम, पद और संस्थान से जुड़ाव का जिक्र करना चाहते हैं, तब उन्हें इस बाबत पहले आईआईटी प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।
नोटिस में कहा गया, “कोई भी कर्मचारी ऐसा बयान न दे या ऐसी बात न कहे, जिससे संस्थान की मौजूदा नीति या फिर फैसले की आलोचना हो।” इतना ही नहीं, इस पत्र के जरिए सोशल मीडिया पर कमेंट्स में भी संस्थान की निंदा करने से सभी कर्मचारियों को रोका गया है। इसके पीछे कारण बताया गया है कि ऐसा करने से केंद्र सरकार, किसी राज्य सरकार, संस्थान, संगठन या फिर किसी व्यक्ति के साथ संस्थान के संबंध खराब हो सकते हैं।
रजिस्ट्रार बीएन सिंह ने इस बारे में एक अंग्रेजी अखबार से कहा- आईआईटी खड़गपुर की फैकल्टी सरकार द्वारा 1961 में लाए गए कोड ऑफ कंडक्ट का पालन करने के लिए बाध्य है। बकौल सिंह, “यह कोई नई अधिसूचना नहीं है। हम इसे समय दर समय जारी करते रहते हैं, ताकि भर्ती किए गए नए लोगों को इस बारे में पता चल सके।”