Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पत्नी पायल अब्दुल्ला को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह जवाब उमर अब्दुल्ला की तलाक वाली याचिका पर मांगा। उमर ने अपनी पत्नी से तलाक के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। जस्टिस सुंधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने याचिका पर पायल से छह सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा है।

उमर अब्दुल्ला की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि दंपति का विवाह मृत (Dead) हो चुका है। क्योंकि दोनों पिछले 15 सालों से अलग-अलग रह रहे हैं।

सिब्बल ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की, जो सुप्रीम कोर्ट को किसी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश पारित करने का अधिकार देता है। सुप्रीम कोर्ट ने विवाह विच्छेद के लिए पहले भी इस प्रावधान का इस्तेमाल किया है।

यह नोटिस अब्दुल्ला की उस याचिका पर जारी किया गया जिसमें उन्होंने क्रूरता के आधार पर उन्हें तलाक न देने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने माना था कि फैमिली कोर्ट के आदेश में कोई कमी नहीं थी, जिसमें कहा गया था कि अब्दुल्ला द्वारा पायल के खिलाफ क्रूरता के आरोप अस्पष्ट थे।

उमर और पायल की शादी सितंबर 1994 में हुई थी, लेकिन वे लंबे समय से अलग रह रहे हैं। उमर की तलाक की अर्जी को 30 अगस्त 2016 को फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया था। फैमिली कोर्ट ने माना था कि वह “शादी के अपरिवर्तनीय टूटने” को साबित करने में विफल रहा।

इसमें कहा गया था कि राजनेता “क्रूरता” या “परित्याग” के अपने दावों को साबित नहीं कर सके और वह एक भी ऐसी परिस्थिति को नहीं बता सके, जिसके कारण उनके लिए पायल के साथ संबंध जारी रखना असंभव हो गया। उमर ने इसके बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने दावा किया था कि उनकी शादी पूरी तरह टूट चुकी है और वे 2009 से अलग रह रहे हैं।

इससे पहले हाईकोर्ट ने पायल के गुजारा भत्ते को बढ़ा दिया था। कोर्ट नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता को पायल को 1.5 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया था, जबकि उनके दो बेटों को लॉ स्कूल में दाखिला लेने के दौरान 60,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया था।

दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत कार्यवाही में ट्रायल कोर्ट ने पहले पायल को 75,000 रुपये प्रति माह और उनके बेटे को 18 वर्ष का होने तक 25,000 रुपये का अंतरिम भरण-पोषण देने की अनुमति दी थी।