UGC Draft Regulations 2025: केंद्र में सरकार चला रहे एनडीए में शामिल कुछ दलों के बीच एक नई तकरार सामने आ रही है। यह तकरार यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) के नियमों के ड्राफ्ट 2025 को लेकर है। एनडीए में बीजेपी के सबसे बड़े सहयोगी दल जेडीयू ने उच्च शिक्षा के मामले में राज्य सरकार की भूमिका को सीमित करने का आरोप लगाकर ड्राफ्ट की आलोचना की है।

यूजीसी ड्राफ्ट के नए नियमों के मुताबिक, कुलाधिपतियों (चांसलर) को राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों (वाइस चांसलर) की नियुक्ति में ज्यादा ताकत देने का प्रस्ताव है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू का कहना है कि इस ड्राफ्ट को अच्छी तरह से समझने के बाद वह इसे एनडीए सरकार के सामने उठाएगी। द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, “कुलपतियों की नियुक्ति के मामले में राज्य सरकार के रोल को सीमित करने से शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार की ओर से की जा रही कोशिशों को बहुत हद तक झटका लगेगा। अभी तक हमने यूजीसी नियमों का ड्राफ्ट नहीं पढ़ा है लेकिन मीडिया में जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं, उससे ऐसा लगता है कि इसमें कुछ संशोधन की जरूरत हो सकती है।”

टीडीपी का रुख अलग

जेडीयू के अलावा एनडीए के एक और अहम सहयोगी टीडीपी का भी इसे लेकर रुख अलग है। हालांकि टीडीपी इस मामले में काफी सतर्क भी है। टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दीपक रेड्डी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “हमने यूजीसी नियमों के ड्राफ्ट को देखा है लेकिन हमारी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के लिए दावोस में है और इस पर पार्टी में अभी अंदरूनी तौर पर कोई चर्चा नहीं हुई है। अगर हमें इसे लेकर कोई आपत्ति होगी तो हम सार्वजनिक रूप से इसे नहीं उठाएंगे लेकिन अंदरूनी तौर पर इस मामले को लोगों को बताएंगे। हम इस मामले का राजनीतिकरण नहीं चाहते।”

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू और उनके बेटे और राज्य सरकार में मंत्री नारा लोकेश इन दिनों दावोस गए हुए हैं।

संसद में चर्चा होनी चाहिए: एलजेपी (रामविलास)

एनडीए की एक और सहयोगी एलजेपी (रामविलास) भी इस मामले में सतर्क है और उसने कहा है कि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अरविंद कुमार वाजपेयी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि इस मामले पर विचार-विमर्श करना संसद का विशेषाधिकार है।

न सिर्फ सत्ता पक्ष बल्कि विपक्षी दलों के द्वारा शासित कई राज्य सरकारों ने भी यूजीसी नियमों के इस ड्राफ्ट का विरोध किया है। मंगलवार को केरल विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें एनडीए सरकार से अपील की गई कि वह यूजीसी के इस ड्राफ्ट को तुरंत वापस ले। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि हायर एजुकेशन में राज्यों के हक को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। केरल में सीपीएम के अलावा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी यूजीसी नियमों के ड्राफ्ट के खिलाफ आवाज उठाई है।

संघ परिवार के एजेंडे का हिस्सा

सीपीएम और कांग्रेस ने कहा है कि हायर एजुकेशन के क्षेत्र पर कब्जे के लिए यह संघ परिवार के एजेंडे का हिस्सा है। इस महीने की शुरुआत में तमिलनाडु की विधानसभा ने भी इस ड्राफ्ट के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था। तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री गोवी चेजियान ने यूजीसी नियमों के ड्राफ्ट को तानाशाही कहा था। उन्होंने कहा था कि अगर केंद्र सरकार इसे वापस नहीं लेती है तो डीएमके सरकार कानून का सहारा लेगी और इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन भी करेगी।