DGP Sanjay Kundu Removed: हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू के खिलाफ सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए उन्हें पद से हटा दिया है। कारोबारी से विवाद मामले में हाईकोर्ट से आदेश मिलने के बाद उनका ट्रांसफर कर दिया गया। सरकार ने उनका ट्रांसफर आयुष विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में कर दिया है। दरअसल, यह विवाद कांगड़ा के कारोबारी से जुड़ा है। असल में कांगड़ा जिले के पालमपुर में रहने वाले कारोबारी निशांत शर्मा का प्रॉपर्टी को लेकर अपने पार्टनर से विवाद चल रहा है। निशांत का आरोप है मामले को सुलझाने के लिए डीजीपी ने उन पर दबाव डालने की कोशिश की। उनके पास पालमपुर डीएसपी और डीजीपी दफ्तर से कई फोन आए। यह भी आरोप लगा है कि कारोबारी पर हमला होने के बाद भी कांगड़ा पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया था।

इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा और आदेश के बाद डीजीपी के खिलाफ यह एक्शन हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल कोर्ट ने पिछले सप्ताह कांगड़ा की एसपी शालिनी अग्निहोत्री और डीजीपी संजय कुंडू का ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे संजय कुंडू

डीजीपी पद से हटाए जाने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारी संजय कुंडू हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। अब सुप्रीम कोर्ट संजय कुंडू की उस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जज जेबी परदीवाला और जज मनोज मिश्रा की पीठ ने मंगलवार को कुंडू की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलों पर संज्ञान लिया। इसके बाद पीठ कुंडू की याचिका पर बुधवार को सुनवाई के लिए तैयार हो गई। कुंडू का पक्ष रखते हुए रोहतगी ने कहा कि हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारी की दलील नहीं सुनी और 26 दिसंबर को सरकार को उनका ट्रांसफर करने का आदेश दे दिया। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने अभी नए डीजीपी की नियुक्ति को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। कुंडू तो जून 2020 में डीजीपी का प्रभार दिया गया था।

संजय कुंडू की भूमिका पर उठे सवाल

पालमपुर के कोरोबारी निशांत शर्मा ने 28 अक्टूबर को दर्ज अपनी शिकायत में अपने परिवार की जान और संपत्ति का खतरा बताया। शर्मा ने डीजीपी संजय कुंडू की भूमिका पर भी सवाल उठाया था। कोरोबारी ने आरोप लगाया था कि पुलिस अधिकारी कुंडू ने उन्हें फोन करके शिमला आने के लिए कहा था। मामले में हाईकोर्ट ने कहा था कि डीजीपी और कांगड़ा के एसपी का ट्रांसफर कर दिया जाए ताकि उनको हस्तक्षेप करने का मौका न मिले। अब देखना है कि सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाता है।