जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता निर्मल सिंह सपरिवार 23 जुलाई को बान गांव स्थित अपने नवनिर्मित मकान में प्रवेश कर गए। यह मकान सेना के गोला-बारूद उप डिपो (एएसडी) से 600 गज की दूरी पर है। बीजेपी नेता का यह कदम मई 2018 में हाईकोर्ट के आदेश का खुला उल्लंघन है, जिसमें कोर्ट ने अधिकारियों से कहा था कि सरकार के 2015 के आदेश का सख्ती से पालन किया जाय जिसमें सेना से जुड़े ठिकाने से 1000 गज की दूरी के अंदर निर्माण कार्यों पर रोक लगाई गई थी।
7 मई, 2018 को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का यह आदेश केंद्र सरकार द्वारा दायर एक रिट याचिका पर आया था। याचिका में साइट पर एक महलनुमा बंगले के निर्माण को चुनौती दी गई थी, जो कि नगरोटा में एएसडी की परिधि की दीवार से सिर्फ 580 गज की दूरी पर था। नागरोटा स्थित 16 कोर मुख्यालय में सेना के शीर्ष अधिकारियों के लिखित अनुरोध के बावजूद, सिविल और पुलिस अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा की अध्यक्ष ममता सिंह और निर्मल सिंह की पत्नी द्वारा की जा रही निर्माण गतिविधि को बंद नहीं करने के बाद याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट के 7 मई के आदेश को नहीं मानने के खिलाफ तब केंद्र सरकार ने दो बार 15 मई, 2018 और 20 दिसंबर, 2018 को राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना प्रक्रिया शुरू करने की गुजारिश की थी। तब कोर्ट ने जम्मू के डिवीजनल कमिश्नर हेमंत शर्मा, डिप्टी कमिश्नर कुमार राजीव रंजन और जम्मू के तत्कालीन एसएसपी विवेक गुप्ता को इस मामले में प्रतिवेदन सौंपने का आदेश दिया था।
अदालत में रिट पिटीशन और अवमानना से जुड़ी याचिका लंबित होने के बावजूद निर्मल सिंह का पत्नी ममता सिंह ने 25 जुलाई को फेसबुक अकाउंट पर अपने नव निर्मित घर में अपने पोते के साथ एक तस्वीर पोस्ट की थी। इसमें उन्होंने लिखा, “23 जुलाई, 2020 को अपने घर में प्रवेश किया, 24 की खुशी के पल। जीवन का सबसे सुखद कहशां।”
जब इंडियन एक्सप्रेस ने निर्मल सिंह से इस बावत पूछा तो उन्होंने कहा, “मामला सब ज्यूडिश है और माननीय उच्च न्यायालय ने मामले को अपने कब्जे में रखा है। इसलिए, मेरे लिए मामले पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। अदालत के फैसले का इंतजार करना बेहतर होगा। ”