Delhi Riots 2020 के सिलसिले में दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के प्रोफेसर अपूर्वानंद से पांच घंटे तक पूछताछ हुई। अफसरों ने इस दौरान उनका मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया था।

उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलनकारियों का समर्थन करने वालों को हिंसा का स्रोत बताना बहुत चिंताजनक है।उम्मीद करते हैं कि पुलिस निष्पक्ष होकर इस मामले की जांच करेगी।

टि्वटर पर मंगलवार को जारी उनके बयान के मुताबिक, “सोमवार को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने मुझे एफआईआर संख्या-59/20 की जांच के संबंध में हाजिर होने के लिए कहा था। यह शिकायत उत्तरी दिल्ली में इसी साल फरवरी में हुई हिंसा से जुड़ी थी। मैंने वहां पांच घंटे बिताए। दिल्ली पुलिस को जांच के लिए मेरा फोन जब्त करना भी ठीक लगा, सो उन्होंने किया।”

यह है उनका पूरा बयानः

दिल्ली पुलिस से उन्होंने इस मामले में गहन और स्पष्ट जांच-पड़ताल की अपील की है। दिल्ली हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 100 से अधिक लोग जख्मी हुए थे।

बता दें कि अपूर्वानंद दिल्ली विवि में हिंदी पढ़ाते हैं। राष्ट्रीय मुद्दों पर आलेख भी लिखते हैं। कई अखबारों में उनके स्तंभ भी प्रकाशित होते हैं, जबकि टीवी चैनलों पर वह अक्सर राजनीतिक विश्लेषक भी भूमिका में भी नजर आते रहे हैं।

पूर्व JNU छात्र उमर खालिद से भी हुई थी पूछताछः इस केस में दिल्ली पुलिस की टीम ने कुछ रोज पहले पूर्व JNU छात्र उमर खालिद से पूछताछ की थी। उसने भी लगभग पांच घंटे सवाल-जवाब हुए थे। खालिद का भी तब फोन जब्त कर लिया गया था।

दिल्ली हिंसा की जांच कर रही क्राइम ब्रांच टीम की जांच में भी खालिद का नाम आया था। चार्जशीट में क्राइम ब्रांच ने लिखा था, “उमर खालिद, खालिद सैफी और ताहिर हुसैन की दिल्ली दंगों को लेकर शाहीन बाग में मुलाकात हुई थी।”