हिंदू धर्म में पीपल का वृक्ष पूजनीय है। वहीं, शास्त्रों में पीपल के वृक्ष को सबसे पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इस पेड़ में भगवान विष्णु और श्री कृष्ण का वास होता है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार पीपल का वृक्ष मनुष्यों के पापों को नष्ट करने वाला पेड़ है।
यह भी धार्मिक मान्यता है कि पीपल के पेड़ में पितरों और तीर्थों का निवास होता है।
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो पीपल के पेड़ का काटना पाप माना जाता है। आइए जानते हैं क्यों?
श्रीमद्भगवद्गीता में भी भगवान कृष्ण ने बताया है कि पीपल उन्हीं का एक स्वरूप है। मान्यता है कि इस वृक्ष की पूजा करने से ठाकुर जी खुश होते हैं।
इसके साथ ही ये भी मान्यता है कि पीपल की जड़, मध्य भाग और अग्रभाग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास माना जाता है। यही वजह है कि पीपल के पेड़ को हिंदू धर्म में काटना वर्जित माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार सड़क किनारे या नदी किनारे पीपल का वृक्ष उग जाता है तो उसे कभी नहीं काटना चाहिए।
इसके साथ ही श्मशान घाट के आसपास भी अगर पीपल का वृक्ष उग जाता है तो उसे भी नहीं काटना चाहिए। साथ ही पीपल की लकड़ियों को भी जलाना वर्जित बताया गया है।
वहीं, अगर 1000 पत्तों से अधिक वाले पीपल के पेड़ को विधि विधान से काटने की मान्यता है। उसके बदले कम से कम 10 पौधे लगाने चाहिए और जब तक वो बड़े न हो जाएं तब तक उनका ध्यान रखना चाहिए।