दिल्ली विश्व विद्यालय ने हाईकोर्ट के उस फैसले को मानने से इनकार कर दिया है जिसमें अदालत ने कांग्रेस के छात्र संगठन से जुड़े एक नेता को राहत दी थी। BBC documentary से जुड़े मामले में दिल्ली विवि ने कांग्रेस नेता के किसी भी एग्जाम में भाग लेने पर रोक लगाई थी। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले पर रोक लगा दी थी। अलबत्ता कांग्रेस नेता ने फिर से हाईकोर्ट में रिट लगाकर बताया कि विवि प्रशासन उसकी पीएचडी थीसिस नहीं ले रहा है। उसे अपने डिपार्टमेंट से कोई जवाब नहीं मिल रहा है कि कौन से प्रोफेसर उसकी थीसिस को लेंगे।
जस्टिस पुरुशैंद्रा कुमार कौरव ने याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि विवि को हाईकोर्ट का फैसला मानना चाहिए। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस नेता लोकेश चुघ को कहा कि वो वेकेशन बेंच केस सामने मामले को बयां करे। चुघ के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि आपके फैसले के बाद भी दिल्ली विवि ने अपने उस फैसले पर रोक नहीं लगाई है जो लोकेश चुघ के खिलाफ दिया गया था। वकील ने अदालत को बताया कि विवि के वाइस चांसलर मीडिया के सामने ये कहते भी सुने गए कि वो दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रहे हैं।
27 अप्रैल को हाईकोर्ट ने रोक दिया था विवि का फैसला
हाईकोर्ट ने NSUI के नेशनल सेक्रेट्री की उस याचिका पर 27 अप्रैल को ये स्टे दिया था, जिसमें कहा गया था कि पीएम नरेंद्र मोदी पर बनी BBC Documentary विवि के भीतर दिखाने के लिए 1 साल के लिए उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। आदेश में कहा गया था कि लोकेश चुघ एक साल तक दिल्ली विवि या उसके तहत आने वाले किसी भी कॉलेज में कोई भी परीक्षा नहीं दे सकेगा। लोकेश एंथ्रोपॉलोजी में पीएचडी कर रहा है।
27 अप्रैल को एडवोकेट मोहिंदर रूपल ने लोकेश के केस की पैरवी करते हुए जस्टिस कौरव से अपील की कि थीसिस जमा कराने की आखिरी तारीख 30 अप्रैल है। लिहाजा हाईकोर्ट उसके मामले की तुरंत सुनवाई करे। जस्टिस कौरव ने कहा कि याचिकाकर्ता अब कोर्ट के सामने है। उसके अधिकारों की रक्षा करना अब अदालत का काम है। हाईकोर्ट ने विवि के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा था कि चुघ को एग्जाम में बैठने दिया जाए।
27 जनवरी को कैंपस में हुई थी बीबीसी डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग
याचिका के मुताबिक 27 जनवरी को विवि कैंपस में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था। उसके बाद बीबीसी डाक्यूमेंट्री “India: The Modi Question” की भी स्क्रीनिंग की गई। चुघ का कहना है कि पुलिस ने डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर कुछ छात्रों को हिरासत में भी लिया था। याचिका में कहा गया है कि लोकेश चुघ उन छात्रों में शामिल नहीं था जिनके खिलाफ पुलिस ने एक्शन लिया था। फिर भी उस पर प्रतिबंध लगाया गया।
