Delhi Riots: पूर्वोत्तर दिल्ली में साल 2020 में बड़े स्तर पर दंगा हुआ था। इस दंगे में साजिश रचने के आरोपी और एमसीडी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के वकील का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने जिस व्हाट्सएप चैट पर भरोसा करते हुए उन्हें आरोपी बनाया है, वह शांतिपूर्ण विरोध के लिए था, न कि हिंसा या सरकार के खिलाफ हथियार उठाने के लिए।

ताहिर के वकील ने शुक्रवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी की कोर्ट के सामने दलील रखते हुए कहा कि जब तक सशस्त्र विद्रोह या उग्रवाद को बढ़ावा देने का सबूत न हो, तब तक किसी के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून UAPA को लागू नहीं किया जा सकता है।

पूर्व आम आदमी पार्टी के पार्षद की तरफ से वकील राजीव मोहन के साथ वकील तारा नरूला और ऋशभ भाटी ने कोर्ट में तर्क दिया कि दिल्ली पुलिस ने जिस व्हाट्सएप चैट पर भरोसा किया, उसमें केवल चक्काजाम और शांतिपूर्ण विरोध का ही जिक्र किया गया था।

कोर्ट में आगे दलील देते हुए उन्होंने कहा कि उस बातचीत में कहीं पर भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि हमें सरकार या उसकी एजेंसियों के खिलाफ हथियार उठाने चाहिए। वकील ने आगे कहा कि चक्काजाम करना कहीं से भी आतंकवाद का कृत्य नहीं है।

ताहिर हुसैन के वकील ने दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज उस केस पर भी सवाल उठाया कि दंगे गहरी साजिश का नतीजा थे। उन्होंने पूछा कि आरोपियों ने क्या अपराध किया और आम साजिश क्या है, दिल्ली पुलिस को यह भी स्पष्ट करना होगा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (ASJ) समीर बाजपेयी ने इस मामले में आगे की बहस के लिए 13 नवंबर की तारीख तय की है।

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वकील ने यह भी तर्क दिया कि विरोध-प्रदर्शन केवल नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में बुलाया गया था और यदि किसी व्यक्ति ने व्यक्तिगत रूप से कोई हरकत की हो, तो पुलिस ने FIR दर्ज की है और आरोप पत्र भी दायर किए हैं।

बता दें, दिल्ली दंगा मामले में ताहिर हुसैन और 17 अन्य पर यूएपीए के कड़े प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में गिरफ्तार किए गए 18 आरोपियों में से छह जमानत पर हैं और 12 अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं।