केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में 22 सालों तक सेवाएं देने के बाद साल 2002 में हेड कांस्टेबल के पद से सेवानिवृत्त हुए 58 साल के आस मोहम्मद का दिल्ली सांप्रदायिक हिंसा ने सबकुछ छीन लिया। दंगाईयों ने उनका घर जला दिया है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली निवासी रिटायर्ड कांस्टेबल अब एक शिविर में रहने को मजबूर हैं। मोहम्मद उन सैकड़ों लोगों में से एक हैं जो मुस्तफाबाद की ईदगाह में बनाए एक राहत शिविर में रह रहे हैं। उनका घर भागीरथी विहार के करीबी इलाके में था जिसे 25 फरवरी को भड़की हिंसा में दंगाईयों ने आग के हवाले कर दिया।
रिटायर्ड हेड कांस्टबेल ने एनडीटीवी से कहा, ‘200-300 दंगाई आए, उन्होंने पत्थर फेंके, गोलियां चलाई और इसके बाद घर को आग के हवाले कर दिया। उस वक्त मैं अपने 26 वर्षीय बेटे के साथ घर में ही था। घबराकर हम छत पर गए और पड़ोसी के घर में कूद गए। 29 मार्च को मेरी भतीजी की शादी होने थी इसलिए घर में गहने भी रखे थे, वो उन्हें भी लूटकर ले गए।’
मोहम्मद बताते हैं कि उन्होंने अपनी पत्नी और दो बेटों को गृहनगर बुलंदशहर भेज दिया। दंगाईयों ने उनके घर की पहली मंजिल जला दी, जिसमें दो बाइकें भी जलकर खाक हो गईं। उन्होंने बताया, ‘साल 1991 में मैंने कश्मीर में सेवाएं दीं और जख्मी भी हुआ। अब दंगों में जो कुछ हुआ है, उसके बाद महसूस होता है कि मुझे इस देश में रहने का अधिकार नहीं है।’
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बता दें कि भागीरिथी विहार दिल्ली दंगों में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। बीते सोमवार (24 फरवरी, 2020) को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) समर्थक-विरोधी समूह के बीच खूब झड़प हुई। चार दिनों से ज्यादा दिनों तक दंगाई लोहे की रॉड, पत्थर और हॉकी स्टीक के साथ सड़कों पर नजर आए। लोगों को पीटा गया, आगजानी की गई और लूटपाट मचाई।
रिपोर्ट के मुताबिक सांप्रदायिक हिंसा में अभी तक 45 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। बीते रविवार को भी भागीरिथी विहार के समीप नाले से दो शवों को निकाला गया।
उल्लेखनीय है कि दंगाईयों ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के कांस्टेबल मोहम्मद अनीस का घर भी जला दिया था। हाालंकि बीएसएफ ने अपने सैनिक का घर बनवाने की बात कही। उन्हें विवाह के उपहार के तौर पर घर सौंपा जाएगा। मामले में बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 29 वर्षीय अनीस की तैनाती पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी के पास राधाबरी में है। बहुत जल्द उनका तबादला दिल्ली में होगा ताकि वो अपने परिवार के साथ रह सकें।