गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले पर हुए बवाल में शामिल अभिनेता दीप सिद्धू के बारे में सूचना देने पर दिल्ली पुलिस ने एक लाख रुपए नगद इनाम की घोषणा की है। साथ ही दिल्ली पुलिस ने सात अन्य लोगों पर भी इनाम की घोषणा की है। इन लोगों पर 50-50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया है। यह जानकारी दिल्ली पुलिस ने अपने वेबसाइट पर साझा किया है।
दिल्ली पुलिस ने दीप सिद्धू, जुगराज सिंह और गुरूजंत सिंह, गुरजोत सिंह पर एक लाख रुपए इनके अलावा बूटा सिंह, इकबाल सिंह, जगबीर सिंह और सुखदेव सिंह पर 50-50 हजार रुपए के इनाम की घोषणा की है। भले ही दिल्ली पुलिस दीप सिद्धू पर इनाम की घोषणा कर रही है लेकिन दूसरी ओर दीप सिद्धू हिंसा के बाद से सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय है। आए दिन वह वीडियो जारी कर अपने आप को किसानों का हितैषी बताता है। उसने हिंसा के बाद कई वीडियो पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में जारी किए हैं। बावजूद इसके दिल्ली पुलिस के हाथ खाली हैं।
गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की न्यायिक जांच से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया। अलबत्ता अदालत ने याचिकाकर्ताओं को इसके लिए सरकार से संपर्क करने की छूट दे दी। शीर्ष अदालत में दायर एक याचिका में घटना की जांच के लिए शीर्ष अदालत के किसी रिटायर जज की अध्यक्षता में आयोग बनाने का भी अनुरोध किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे़, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्याययमूर्ति वी रामसुब्रह्मण्यम के पीठ ने हवाला दिया कि प्रधानमंत्री खुद बयान दे चुके हैं कि कानून अपना काम करेगा। सरकार जांच कर ही रही है तो अदालत के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।
पीठ ने कहा-हमें यकीन है कि सरकार इसकी जांच कर उचित कार्रवाई कर रही है।
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के पक्ष में 26 जनवरी को हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी, लेकिन कुछ ही देर में दिल्ली की सड़कों पर अराजकता फैल गई थी। कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया और पुलिस के साथ भी उनकी झड़प हुई। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने वाहनों में तोड़ फोड़ की और लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज लगा दिया था।
जनहित याचिका वकील विशाल तिवारी ने दायर की थी। तिवारी का कहना था कि दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हुई घटना के आम आदमी के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उनका तर्क था कि जांच एक पक्षीय नहीं होनी चाहिए और दूसरे पक्ष को भी मौका दिया जाना चाहिए। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा-स्वाभाविक है कि जांच का मतलब यही होता है कि दोनों ही पक्षों की जांच की जाए। इस घटना के कारण इंटरनेट सेवाओं में भी व्यवधान हुआ। इंटरनेट बंद होने के कारण अनेक कामकाजी लोगों खासकर वकीलों को कठिनाई का सामना करना पड़ा।
याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित की बात जहां होगी वहां यह भी देखना चाहिए कि व्यवधान पैदा करने का जिम्मेवार कौन है और एक शांतिपूर्ण आंदोलन अचानक हिंसक कैसे हो गया। किसने ऐसे हालात पैदा किए जिनसे प्रदर्शन हिंसक हुआ। याचिकाकर्ता के मुताबिक इस घटना के पीछे कोई साजिश भी हो सकती है जिसका मकसद शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करना और नुकसान पहुंचाना रहा हो। पुलिस की तरफ से चूक न होती तो ऐसी हिंसा की नौबत कतई न आती।