दिल्ली सेवा बिल लोकसभा से पारित हो गया है। लंबी बहस के बाद इस बिल को पारित किया गया। बिल को पेश करने के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार पर जमकर निशाना साधा। उनकी तरफ से तंज भी कसे गए, सीधे हमले भी हुए और कुछ मौकों पर इतिहास के पन्नों को भी टटोला गया। अमित शाह के उस तल्ख अंदाज ने सीएम अरविंद केजरीवाल को भी खासा खफा कर दिया। उसी वजह से सदन में अगर शाह गरजे तो बाहर केजरीवाल ने भी मुंहतोड़ जवाब देने का काम किया।

अमित शाह का ‘चुनावी भाषण’

गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बिल पेश करने के दौरान कहा कि हमे नियम के तहत कानून लाने का पूरा अधिकार है। देश को गुमराह करने की कोई जरूरत नहीं है। मैं ये साफ कर दूं यहां पर कि एक बार जब दिल्ली अध्यादेश वाला बिल पारित हो जाएगा, आप चीफ इंडिया गठबंधन छोड़ देंगे। इस बिल के पारित होते ही आपका गठबंधन टूट जाएगा। केजरीवाल को बाय बाय कहना पड़ेगा।

अब अमित शाह ने अरविंद केजरीवाल पर तो हमला किया ही, पूरे विपक्ष की नीयत पर भी सवाल उठाए। उनकी तरफ से कहा गया कि इस सेशन में कुल 9 बिल पारित किए गए। विपक्ष कहता है कि पीएम मोदी को खुद आकर इन 9 बिलों पर बात करनी चाहिए। लेकिन फिर आज क्या हो गया। इन लोगों को लोकतंत्र की कोई चिंता नहीं, बस अपने गठबंधन को बचाने की पड़ी है। इंडिया इस डबल स्टैंडर्ड को समझ रहा है। मैं तो मणिपुर पर भी बात कर सकता हूं, सब जवाब दूंगा। जनता सब जानती है, आपने खुद को एक्सपोज कर लिया है।

केजरीवाल को दिखाया आईना

वहीं दिल्ली सेवा बिल को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात पर भी जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने ही ये कह रखा है कि सरकार दिल्ली को लेकर कोई भी कानून बना सकती है। ऐसे में जो दिल्ली सेवा बिल लाया गया है, ये पूरी तरह संविधान के तहत है। अब अमित शाह ने तो सदन से जोरदार हमला किया ही, सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर निशाना साधा। उनकी तरफ से साफ कर दिया गया कि अमित शाह के किसी भी तर्क में कोई वजन नहीं था।

अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा कि आज लोक सभा में अमित शाह जी को दिल्ली वालों के अधिकार छीनने वाले बिल पर बोलते सुना। बिल का समर्थन करने के लिये उनके पास एक भी वाजिब तर्क नहीं है। बस इधर उधर की फ़ालतू बातें कर रहे थे। वो भी जानते हैं वो ग़लत कर रहे हैं। ये बिल दिल्ली के लोगों को ग़ुलाम बनाने वाला बिल है। उन्हें बेबस और लाचार बनाने वाला बिल है। INDIA ऐसा कभी नहीं होने देगा। अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पर वार किया।

दिल्ली सीएम हुए नाराज, पीएम को घेरा

उनकी तरफ से कहा गया कि हर बार बीजेपी ने वादा किया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे। 2014 में मोदी जी ने ख़ुद कहा कि प्रधान मंत्री बनने पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे। लेकिन आज इन लोगों ने दिल्ली वालों की पीठ में छुरा घोंप दिया। आगे से मोदी जी की किसी बात पे विश्वास मत करना।

दिल्ली अध्यादेश वाला पूरा विवाद समझिए

वैसे दिल्ली को लेकर केंद्र जो अध्यादेश लेकर आया था, उसे समझना भी जरूरी है। असल में सुप्रीम कोर्ट ने अपने मई वाले फैसले में साफ कहा था कि ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा। वो फैसला आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी जीत की तरह था। लेकिन इससे पहले कि दिल्ली सरकार उस आदेश का फायदा ले पाती, केंद्र की तरफ से एक अध्यादेश ला दिया गया। उस अध्यादेश के तहत ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अंतिम मुहर एलजी की ही रहेगी। इसके अलावा एक तीन सदस्यों की टीम का गठन भी कर दिया गया था। लेकिन तब आम आदमी पार्टी ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया और ये मामला फिर अदालत के पास चला गया।

राज्यसभा में अग्निपरीक्षा

अब उसी मामले के बीच लोकसभा से दिल्ली सेवा बिल पारित कर दिया गया है। लेकिन सरकार की असल चुनौती राज्यसभा में शुरू होने जा रही है क्योंकि वहां पर उसके पास बहुमत नहीं है। ऐसे में किस तरह से पर्याप्त नंबर जुटाया जाता है, ये देखना अहम रहेगा। दूसरी तरफ ये इंडिया गठबंधन की एकता को लेकर भी बड़ा टेस्ट साबित हो सकता है। राज्यसभा का नंबर गेम इस समय कुछ ऐसा चल रहा है कि एनडीए खुश हो सकती है, तो वहीं आम आदमी पार्टी को अभी भी चुनौती का ही सामना करना है।

क्या है पूरा नंबर गेम, कौन आगे कौन पीछे?

असल में राज्यसभा में वर्तमान में राज्यसभा में 238 सांसद मौजूद हैं। वहां भी बसपा ने पहले ही वोटिंग के दौरान बॉयकॉट करने की बात कर दी है, ऐसे में उसका एक सांसद माइनस कर दिया जाएगा। अब जब संसद में कुल आंकड़ा 237 का बैठता है, उस स्थिति में बहुमत के लिए 119 सांसदों की जरूरत है। अब अकेले तो बीजेपी के पास भी ये नंबर नहीं है, उसके सहयोगी दलों को भी मिला दें, फिर भी जादुई आंकड़ा नहीं बैठता। लेकिन जुगाड़ू पॉलिटिक्स में माहिर बीजेपी ने अपने लिए दोनों बीजेडी और YSR कांग्रेस का समर्थन जुटा लिया है। इसके अलावा टीडीपी भी केंद्र का समर्थन करने जा रही है। इसी वजह से नंबर गेम पूरी तरह बदल गया है।

बदले हुए नंबर गेम की बात करें तो एनडीए का कुल आंकड़ा आराम से 129 तक पहुंच सकता है, यानी कि बहुमत से काफी आगे। इस समय एनडीए के पास 103 सदस्य हैं, दो निर्दलीय सांसदों का भी समर्थन है। इसके अलावा बीजेडी और YSR कांग्रेस के 9-9 सांसद भी साथ आने वाले हैं। ऐसे में आंकड़ा बिना किसी चुनौती के बहुमत तक पहुंच रहा है। वहीं एनडीए को चुनौती देने वाले INDIA के पास सारा जुगाड़ करने के बाद भी 109 सांसद बचते हैं।