देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति में कोई सुधार नहीं नजर आ रहा है। प्रमुख इलाकों में प्रदूषण का स्तर बेहद चिंताजनक है। इसकी वजह से दिल्ली में दमा के मरीजों की परेशानी बढ़ती जा रही है। लोगों को मास्क लगाकर ही बाहर निकलने की सलाह दी गई है। दिल्ली में गुरुवार सुबह वायु गुणवत्ता ‘‘बहुत खराब’’ रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 367 दर्ज किया गया जबकि नौ केंद्रों- आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, जहांगीरपुरी, मुंडका, रोहिणी, सोनिया विहार, विवेक विहार, वाजीपुर में वायु गुणवत्ता ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में दर्ज की गई। आनंद विहार में AQI 425 और वजीरपुर में 428 तक पहुंच गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। द्वारका सेक्टर 8 में AQI 368 और अलीपुर में 386 दर्ज किया गया, जो खराब वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। जहांगीरपुरी और विवेक विहार जैसे इलाकों में AQI 431 और 408 के स्तर पर पहुंच चुका है, जिससे इन क्षेत्रों में हवा सांस लेने लायक नहीं बची है। इससे दिल्ली और आसपास के इलाके एक गैस चैंबर में तब्दील हो गए हैं। अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से शुरू हुआ यह संकट अब नवंबर में भी बरकरार है।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली सबसे खराब आबोहवा वाले शहरों में तीसरे स्थान पर है। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान के हनुमानगढ़ शहर की आबोहवा 396 एक्यूआई के साथ देश में सबसे खराब है। इसके बाद राजस्थान का ही श्री गंगानगर है जहां पर एक्यूआई 369 दर्ज किया गया।
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दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ते प्रदूषण और हवा की स्थिति बिगड़ने पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बिना मास्क लगाए बाहर न निकलने की सलाह दी है। खास तौर पर दमा पीड़ितों और सांस रोगियों को बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलने को कहा गया है।
यूरोपीय जलवायु परिवर्तन एजेंसी ‘कॉपरनिकस’ ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह लगभग तय है कि साल 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा और औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा। यूरोपीय जलवायु एजेंसी ने बताया कि यह दूसरा वर्ष है जब इतिहास में सबसे गर्म अक्टूबर दर्ज किया गया है। यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन से पहले की गई है, जो 11 नवंबर को अजरबैजान के बाकू में शुरू हो रहा है।
दिल्ली में गुरुवार सुबह वायु गुणवत्ता ‘‘बहुत खराब’’ रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 367 दर्ज किया गया जबकि नौ केंद्रों- आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, जहांगीरपुरी, मुंडका, रोहिणी, सोनिया विहार, विवेक विहार, वाजीपुर में वायु गुणवत्ता ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में दर्ज की गई।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (पराली जलाने पर पर्यावरणीय मुआवजे का अधिरोपण, संग्रहण और उपयोग) संशोधन नियम, 2024 लगा दिया गया है।
दिल्ली में इस बार नवंबर में उतनी ठंड नहीं पड़ रही है, जितनी आम तौर पर पहले इन दिनों पड़ती रही। पहला हफ्ता बीत गया है और घरों में रजाइयां अब भी नहीं निकाली गई हैं। कहा जा रहा है कि पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद दिल्ली में ठंड बढ़ेगी। पूर्वानुमान के अनुसार अगले 6 से 7 दिन मौसम का मिजाज इसी तरह का रहने वाला है। तापमान में गिरावट की उम्मीद कम है।
दिल्ली के कालिंदी कुंज में गुरुवार को यमुना नदी में जहरीला झाग तैरता हुआ दिखाई दिया। नदी में प्रदूषण का स्तर अभी भी उच्च है। तस्वीरों में इलाके में धुंध की परत भी दिखाई दे रही है, क्योंकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में बनी हुई है।
विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) के अनुसार, दिल्ली में सर्दियों के मौसम में प्रदूषण में सबसे अधिक हिस्सेदारी वाहनों से होने वाले उत्सर्जन की होती है। यह हिस्सेदारी पराली जलाने, सड़क की धूल या पटाखे फोड़ने से होने वाले प्रदूषण से भी अधिक है। सीएसई के मुताबिक, स्थानीय स्रोतों से होने वाले प्रदूषण में 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी शहर की जर्जर परिवहन प्रणाली की है। अनुमान है कि रोजाना 11 लाख वाहन दिल्ली से होकर गुजरते हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता और खराब हो जाती है।
दिल्ली में दीवाली के बाद से वायु प्रदूषण और खराब वायु गुणवत्ता का संकट गहराता जा रहा है। त्योहार के बाद से शहर की हवा में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ा है, जिससे दिल्ली और आसपास के इलाके एक गैस चैंबर में तब्दील हो गए हैं।