आईपीएल के दौरान बीसीसीआई द्वारा पेश किए गए एआई-जनरेटेड रोबोटिक कुत्ते का नाम ‘चंपक’ रखने पर अब क्रिकेट बोर्ड कानूनी विवाद में घिर गया है। बच्चों की लोकप्रिय कॉमिक बुक ‘चंपक’ के प्रकाशक दिल्ली प्रेस ने इस नामकरण को अपने ट्रेडमार्क का उल्लंघन बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट ने बीसीसीआई और आईपीएल को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में अपना लिखित पक्ष रखने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी।
इस चार पैरों वाले हाई-टेक रोबोटिक कुत्ते को पिछले सप्ताह आईपीएल के मैदान में पहली बार उतारा गया, जहां यह एमएस धोनी और हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ियों के साथ बातचीत करता देखा गया। तकनीकी रोमांच और क्रिकेट के मेल से दर्शकों में उत्साह तो बढ़ा, लेकिन इसके नाम ‘चंपक’ की घोषणा ने विवाद को जन्म दे दिया। बीसीसीआई ने 20 अप्रैल 2025 रविवार को मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच मैच से पहले इसका नाम सार्वजनिक किया था, जिसे अब कॉमिक ब्रांड ‘चंपक’ से टकराव के रूप में देखा जा रहा है।
प्रकाशक के अधिवक्ता के मुताबिक, बच्चों के बीच वर्षों से प्रसिद्ध ‘चंपक’ नाम को बीसीसीआई द्वारा बिना अनुमति और व्यावसायिक मकसद से इस्तेमाल करना न सिर्फ गलत है, बल्कि ब्रांड की प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंचाता है। यह न सिर्फ कॉपीराइट कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि व्यापारिक छवि पर भी प्रतिकूल असर डाल सकता है।
अदालत की टिप्पणी और अगली सुनवाई
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने माना कि ‘चंपक’ एक मौजूदा और लंबे समय से प्रसिद्ध ब्रांड नाम है। अदालत ने बीसीसीआई को इस याचिका पर चार सप्ताह के भीतर लिखित जवाब दाखिल करने को कहा है।
हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि जब तक मामला लंबित है, तब तक बीसीसीआई को रोबोट डॉग के लिए ‘चंपक’ नाम के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए, ताकि प्रकाशक को अंतरिम संरक्षण मिल सके। इस पर अदालत ने फिलहाल कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया, लेकिन अगली सुनवाई की तारीख 9 जुलाई 2025 तय कर दी है।
क्या है ‘चंपक’ ब्रांड का कानूनी दावा?
दिल्ली प्रेस की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि ‘चंपक’ एक पंजीकृत ट्रेडमार्क है, जिसे बच्चों की पत्रिका, पुस्तकों और अन्य प्रकाशनों के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। यह नाम भारतीय घरों में दशकों से बच्चों की कहानियों और नैतिक शिक्षाओं के पर्याय के रूप में देखा जाता है। ऐसे में बीसीसीआई द्वारा उसे किसी रोबोट डॉग से जोड़ना इस ब्रांड की छवि को बदल सकता है और भ्रामक प्रभाव डाल सकता है।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि आईपीएल जैसा वैश्विक मंच, जहां करोड़ों दर्शक होते हैं, वहां इस नाम का प्रयोग सीधे तौर पर कॉपीराइट कानूनों और ब्रांड पॉलिसी के विरुद्ध है।
बीसीसीआई की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं
फिलहाल, बीसीसीआई की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन अदालत की ओर से मिले नोटिस के बाद संभव है कि अगली सुनवाई से पहले बोर्ड अपना पक्ष स्पष्ट करे।
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा शुरू हो गई है। कई यूज़र्स ने चंपक नाम से जुड़ी अपनी यादें साझा करते हुए इस नाम को बच्चों की मासूमियत से जोड़कर देखा है। ऐसे में एक रोबोट डॉग को वही नाम देने पर विवाद होना स्वाभाविक है। अब निगाहें 9 जुलाई की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय हो सकता है कि क्या बीसीसीआई को ‘चंपक’ नाम के इस्तेमाल से रोक दिया जाएगा या नहीं। यह मामला ब्रांड अधिकार, ट्रेडमार्क सुरक्षा और आईपी के बढ़ते इस्तेमाल के बीच टकराव का एक अहम उदाहरण बनता जा रहा है।