दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक रिटायर्ड सिविल सर्वेट द्वारा दायर जनहित याचिका पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) का रुख पूछा। अदालत ने सवाल किया कि CAG की रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जा सकती? इस याचिका में दिल्ली सरकार के कामकाज पर 14 ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए अदालत से निर्देश देने की मांग की गई है।

जस्टिस यशवंत वर्मा और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने CAG से पूछा कि उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जा सकती। मामले को आगे विचार के लिए 24 जनवरी को रखा गया है।

यह जनहित याचिका भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा विभाग (IA&D) से 2013 में वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (SAG) अधिकारी के रूप में रिटायर हुए बृज मोहन द्वारा दायर की गयी है। जिसमें कहा गया है कि 14 सीएजी रिपोर्टों को तत्काल सार्वजनिक किया जाना चाहिए और विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली में होने वाले चुनावों से पहले उन पर चर्चा और बहस होनी चाहिए।

दिल्ली के मामलों पर कैग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग

PIL में कहा गया है कि यह जनहित याचिका दिल्ली के मतदाताओं के फायदे के लिए दायर की गई है, ऐसे में आगामी चुनावों में अपना वोट डालने से पहले उन्हें दिल्ली की स्थिति और शहर की वित्तीय स्थिति के बारे में पता होना चाहिए।

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याचिकाकर्ता ने चिंता जताई कि दिल्ली के मामलों पर कैग की रिपोर्ट को अनिश्चित काल तक रोककर लेखापरीक्षा की संवैधानिक संस्था को कमजोर किया जा रहा है। मोहन ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि अदालत को CAG रिपोर्ट को तत्काल प्रकाशित करने का निर्देश देना चाहिए, भले ही दिल्ली सरकार कैग रिपोर्ट को पेश करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने में विफल हो।

एलजी ने दिल्ली सीएम को विधानसभा की विशेष बैठक बुलाने के लिए सूचित किया

याचिका में कहा गया है कि एलजी वीके सक्सेना ने 18 दिसंबर, 2024 को दिल्ली के सीएम को रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा की एक विशेष बैठक बुलाने के लिए सूचित किया। याचिकाकर्ता मोहन ने आगे कहा, “यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली सरकार ने स्पष्ट रूप से सीएजी रिपोर्टों को जनता की नज़रों से दबाने की कोशिश की है।”

याचिकाकर्ता ने यह भी रेखांकित किया है कि 14 कैग रिपोर्ट का दिल्ली शासन में व्याप्त कुछ विवादों पर सीधा प्रभाव है, जैसे कि दिल्ली में अत्यधिक प्रदूषण, आबकारी नीति, स्वास्थ्य सेवाएं और सार्वजनिक परिवहन के मुद्दे। याचिका में यह भी कहा गया कि यह हाल ही में दिल्ली सरकार में वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा दी जा रही रियायतों के संदर्भ में भी प्रासंगिक हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या दिल्ली सरकार वास्तव में चुनावी वादों को पूरा करने के लिए इतनी मजबूत वित्तीय स्थिति में है या वह चुनावी धोखाधड़ी कर रही है।

विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट दाखिल करने में देरी के कारण सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। सोमवार को हाईकोर्ट ने दिल्ली की आप सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि विधानसभा में सीएजी की रिपोर्ट पेश करने में जिस तरह से आपने देरी की, उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है। देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग