Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट कई सरकारी पदों पर लोक सेवक के रूप में राजनीतिक दलों के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे व्यक्तियों की नियुक्ति पर आपत्ति जताने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा और इकबाल सिंह लालपुरा और आम आदमी पार्टी की जैस्मिन शाह और कांग्रेस पार्टी के डॉ. चंद्रभान सिंह के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि क्या कानून में ऐसा कोई प्रावधान है जो राजनेताओं को ऐसे पदों पर रहने से रोकता है।
संबित पात्रा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के साथ-साथ भारत पर्यटन विभाग निगम (ITDC) के अध्यक्ष हैं। उन्होंने खुद को बीजेपी के प्रवक्ता के रूप में पेश किया है। इकबाल सिंह लालपुरा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड के सदस्य भी हैं। उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों के लिए एनसीएम कार्यालय का इस्तेमाल किया है। कांग्रेस और आप समेत विपक्षी दलों पर हमला करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की है और इस तरह के कार्यों के लिए एनसीएम के परिसर का इस्तेमाल किया है।
जैस्मिन शाह दिल्ली के डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन की वाइस चेयरमैन हैं और आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता भी हैं। उन्होंने कई वीडियो में आप का समर्थन किया है और भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की है। डॉ. चंद्रभान बीस सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन और समन्वय समिति के उपाध्यक्ष हैं, जबकि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य और पीसीसी के पूर्व सदस्य भी हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जुड़ाव और कांग्रेस के भीतर अपनी स्थिति के बारे में खुलकर बात की और भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की।
ऐसे लोग राजकोष को नुकसान पहुंचाते हैं
याचिका में कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति लोक सेवक के रूप में अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर रहे हैं जिसे भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 21 (12) (ए) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 2 (सी) में परिभाषित किया गया है। याचिका में आगे कहा गया है कि ऐसे शख्स करदाताओं के पैसे से वेतन और भत्ते लेते समय अपनी पक्षपातपूर्ण गतिविधियों से राजकोष को नुकसान पहुंचाते हैं।
17 जनवरी को होगी याचिका पर सुनवाई
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने कई सरकारी पदों पर बैठे राजनीतिक दलों के सदस्यों को हटाने के लिए एक जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को टाल दी। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से मामले को स्थगित करते हुए इस मुद्दे पर और शोध करने को कहा। कोर्ट ने टिप्पणी की कि कुछ और शोध करें, जनहित याचिका दायर करने के लिए बेहतर मुद्दे हैं। लोगों को इलाज नहीं मिल रहा है, लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है। हाईकोर्ट ने इसके बाद इस याचिका पर 17 जनवरी, 2023 को आगे विचार करने के लिए सूचीबद्ध किया।