दिल्ली सरकार अपने हरित क्षेत्र के संरक्षण के उद्देश्य से पहली बार शहरों में पेड़ों की गिनती कराने पर विचार कर रही है। राज्य के पर्यावरण विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘लोक शिकायत आयोग ने हाल ही में हमसे शहर में पेड़ों की गिनती कराने की सिफारिश की थी।
योजना पर विचार चल रहा है। हम जल्दी ही योजना की रूपरेखा की घोषणा करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि अकेले सरकार इतनी व्यापक कवायद नहीं कर सकती और इसके लिए आवासीय कल्याण संगठनों और प्रशासनिक एजेंसियों के सहयोग की जरूरत होगी।’
अधिकारी ने कहा कि सरकार इस योजना में पर्यवेक्षण की भूमिका निभाएगी। इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी में पर्यावरण कार्यकर्ता और एजेंसियां इस तरह की गिनती कराती थीं और शहर के कुछ हिस्सों में यह कवायद सीमित रहती थी।
सर्वोदय एन्क्लेव में दिल्ली की पहली निजी वृक्ष गणना करने वाले सुहास बोरकर ने पीटीआई से कहा, ‘‘हम 2012 से पेड़ों की गिनती करा रहे हैं। लेकिन कवायद अकसर कुछ इलाकों तक सीमित रहती थी और स्वयंसेवी संगठन होने के नाते हम अधिक संसाधनों का इस्तेमाल नहीं कर पाते।’
पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ नरेंद्र कुमार के अनुसार इस तरह की गिनती महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इससे कमजोर हो चुके वृक्षों का पता लगाने में भी मदद मिलती है।