राजधानी में दिल्ली सरकार की ओर से पटाखों की बिक्री, निर्माण, भंडारण और उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा है। यही कारण है कि लोगों ने दीपावली के दौरान आतिशबाजी करने के लिए सस्ता और आसान तरीका खोज निकाला है। गंधक-पोटाश व लोहे के पाइप की मदद से राजधानी में लोग पिछले कुछ दिनों से आतिशबाजी कर रहे हैं।

पोटाश में नमी आने से जहरीली गैस बन सकती है और लोग बेहोश हो सकते हैं

बावजूद इसके राजधानी में प्रशासन आतिशबाजी को रोक पाने में नाकाम है। दिल्ली पुलिस, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीडीपीसी), दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारी प्रदूषण कम करने की जिम्मेदारी है। पर राजधानी के कई इलाकों में इस देसी तकनीक की मदद से जमकर आतिशबाजी की जा रही है, जो ना केवल आतिशबाजी करने वाले के लिए जानलेवा साबित हो सकता है, बल्कि वायु प्रदूषण भी बढ़ता है और पाइप के फटने पर आसपास आग लगने और लोगों के घायल होने का भी डर बना रहता है। दिल्ली दमकल विभाग के निदेशक अतुल गर्ग ने बुधवार को बताया कि गंधक एक ज्वलनशील पदार्थ है। वहीं, पोटाश में नमी आने से जहरीली गैस बन सकती है। इस गैस के हल्के झोंके से व्यक्ति बेहोश हो सकता है।

गंधक की धूल में सांस लेने से वायुमार्ग में जलन हो सकती है या खांसी हो सकती है। गंधक त्वचा और आंखों के लिए भी परेशान करने वाला हो सकता है। उन्होंने बताया कि लोहे के पाइप की तकनीक का इस्तेमाल आतिशबाजी के लिए बड़ा खतरनाक साबित हो सकता है। यदि गंधक और पोटाश का मिश्रण तय सीमा से अधिक भर दिया जाए तो पाइप फट सकती है। इस कारण व्यक्ति खुद भी और आसपास के लोग भी घायल हो सकते हैं। साथ ही आग भी लग सकती है।

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गंधक पोटाश को आतिशबाजी के रूप में इस्तेमाल से सांस संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही है।

इस स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली सरकार और स्थानीय प्रशासन को कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। पटाखों की बिक्री और उपयोग पर प्रभावी रोक लगाने के लिए एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, ताकि लोग जान सकें कि आतिशबाजी केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए खतरा बन सकती है। इसके अलावा, प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और उल्लंघनकर्ताओं पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।

विभिन्न सामुदायिक संगठनों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को भी इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। यदि लोग सही जानकारी प्राप्त करें कि कैसे आतिशबाजी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है, तो वे इसे करने से परहेज कर सकते हैं। इसी तरह, मीडिया को भी अपनी भूमिका निभाते हुए इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि जागरूकता बढ़ सके और आने वाले दिनों में दीपावली का त्योहार सुरक्षित और प्रदूषण-मुक्त मनाया जा सके।