Delhi Farmers Protest: किसान अपने मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे हैं। 200 से ज्यादा किसान यूनियनें और किसान मोर्चा इसमें शामिल हैं। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने भी किसानों को रोकने के लिए कई कड़े इंतजाम किए हैं। किसान एमएसपी कानून की गारंटी, स्वामीनाथन फॉर्मूला लागू करने आदि की मांग कर रहे हैं। किसानों ने दिल्ली चलो मार्च की घोषणा दिसंबर, 2023 में की थी।

किसानों का यह विरोध-प्रदर्शन उस वक्त की याद दिलाता है, जो दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक लगातार जारी रहा था। किसानों के विरोध के आगे मोदी सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था। सरकार के इन तीनों कानूनों के वापस लेने से किसान यूनियनों में बहुत कुछ बदल गया है। संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन, जिन्होंने 2020 के किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। वो अब सबसे आगे नहीं हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) Samyukt Kisan Morcha (Non-Political)-

यह संयुक्त किसान मोर्चा का एक गुट है, जिसका गठन नवंबर 2020 में दिल्ली में पहले किसान विरोध का नेतृत्व करने के लिए किया गया था। यह मुख्य एसकेएम से दूर हो गया, जबकि एसकेएम ने 2022 में कई अलग-अलग समूहों को देखा। जगजीत सिंह दल्लेवाल के नेतृत्व वाले इस गुट ने कहा कि वे गैर-राजनीतिक हैं।

किसान मजदूर मोर्चा (Kisan Mazdoor Morcha)-

किसान मजदूर मोर्चा का नेतृत्व सरवन सिंह पंधेर कर रहे हैं। यह संगठन 2020 के विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं था। मंगलवार को पंधेर ने कहा कि किसानों का यह विरोध राजनीतिक नहीं है। जो कहा जा रहा है उसके विपरीत प्रदर्शनकारियों को कांग्रेस का समर्थन नहीं है। पंधेर ने कहा, “हम कांग्रेस को उतना ही दोषी मानते हैं, जितना भाजपा को। न ही हम वामपंथियों का समर्थन करते हैं। पश्चिम बंगाल में जहां वामपंथियों ने इतने वर्षों तक शासन किया, वहां कौन सी क्रांति आई है? हम किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में नहीं हैं।”

इस बार किसानों का नेता कौन?

2020-21 में जो किसान आंदोलन हुआ था, उसकी अगुवाई राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढूनी जैसे दो प्रमुख नेता कर रहे थे। इस बार टिकैत और चढूनी दोनों आंदोलन से गायब हैं। पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं. दल्लेवाल किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेता हैं।

राकेश टिकैत और भारतीय किसान यूनियन कहां हैं?

एसकेएम ने खुद को दिल्ली चलो मार्च से अलग कर लिया है, लेकिन निंदा की है कि कैसे लोगों को डराने के लिए आतंक का माहौल बनाया गया है। एसकेएम और अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 16 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल और ग्रामीण बंद का आह्वान किया है।

एसकेएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह साफ करने की अपील की है कि उनकी सरकार लोगों की आजीविका की मांगों पर 16 फरवरी को राष्ट्रव्यापी ग्रामीण बंद और औद्योगिक/सेक्टोरल हड़ताल के आह्वान के संदर्भ में किसानों और श्रमिकों के मंच से चर्चा के लिए तैयार क्यों नहीं है?’

किसान नेता राकेश टिकैत (भारतीय किसान यूनियन) भी इस दिल्ली चलो विरोध प्रदर्शन से दूर हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि वो 16 फरवरी को भारत बंद का समर्थन करेंगे। टिकैत ने कहा कि हमने 16 फरवरी को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। कई किसान समूह इसका हिस्सा हैं, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) सहित। किसानों को भी उस दिन अपने खेतों में नहीं जाना चाहिए और हड़ताल नहीं करनी चाहिए। इससे पहले भी किसान ‘अमावस्या’ के दिन खेतों में काम नहीं करते थे। इसी तरह, 16 फरवरी को भी किसानों ‘अमावस्या’ है। उन्हें उस दिन काम नहीं करना चाहिए और ‘कृषि हड़ताल’ करनी चाहिए। इससे देश में एक बड़ा संदेश जाएगा।